
बिहार की सत्ता की जंग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। मंगलवार (11 नवंबर 2025) को दूसरे चरण के मतदान के साथ विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई। पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर वोटिंग हुई थी, जबकि दूसरे चरण में शेष 122 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह साफ हो जाएगा कि पटना की गद्दी पर किसकी ताजपोशी होगी।
इस बार का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। रिकॉर्ड तोड़ मतदान ने एक बार फिर बिहार की जनता की लोकतंत्र के प्रति गहरी आस्था को उजागर किया है। शाम तक मतदाताओं की लंबी कतारें यह संकेत दे रही थीं कि जनता इस बार सत्ता परिवर्तन या स्थायित्व के सवाल पर निर्णायक भूमिका निभाने के मूड में है।
एग्जिट पोल के नतीजों से बढ़ा रोमांच
मतदान समाप्त होते ही एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने लगे हैं। Matrize-IANS के सर्वेक्षण के अनुसार, इस बार मुकाबले में एनडीए को भारी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। अनुमान के मुताबिक:
एनडीए: 147 से 167 सीटें
महागठबंधन: 70 से 90 सीटें
अन्य दल: 2 से 6 सीटें
इन आंकड़ों से साफ झलकता है कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनने की पूरी संभावना है। चूंकि बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में एनडीए स्पष्ट बढ़त के साथ सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रहा है।
एनडीए की सीटों का बंटवारा और रणनीति
2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के दो प्रमुख घटक — भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) — ने बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा है। दोनों ही दलों ने 101-101 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इसके अलावा, एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 29 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। हालांकि छपरा की मढ़ौरा सीट से प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन रद्द कर दिया गया था। वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 6-6 सीटों का हिस्सा मिला। यह सीट शेयरिंग दिखाती है कि एनडीए ने गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने की रणनीति अपनाई।
महागठबंधन की स्थिति और सीट वितरण
दूसरी ओर, महागठबंधन (MGB) में प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सबसे अधिक 143 सीटों पर चुनाव लड़ा है। इसके साथ कांग्रेस को 61 सीटें, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को 12 सीटें, CPI(ML) को 20 सीटें, CPI को 9 सीटें, CPI(M) को 4 सीटें, और IIP को 3 सीटें दी गई हैं।
हालांकि, इन आंकड़ों में कुछ सीटें “फ्रेंडली फाइट” के तहत भी हैं, जहां सहयोगी दलों ने आपसी समझौते से एक ही सीट पर अलग-अलग उम्मीदवार उतारे हैं। इस वजह से कुल सीटों की संख्या 252 तक पहुंच गई है।
मुकाबला दिलचस्प, लेकिन बढ़त एनडीए के पक्ष में
एग्जिट पोल के रुझानों से जहां एनडीए खेमे में जश्न का माहौल है, वहीं महागठबंधन में हलचल बढ़ गई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंतिम परिणाम आने तक तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट नहीं कही जा सकती। अब बिहार की जनता की उम्मीदें 14 नवंबर पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि जनता ने नीतीश कुमार के विकास मॉडल पर भरोसा दोहराया है या तेजस्वी यादव के “परिवर्तन” के वादे को मौका दिया है।














