अयोध्या नहीं पहुंचे रामलला का सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले 92 वर्षीय वकील परासरण, टीवी पर देखा भूमि पूजन
By: Pinki Wed, 05 Aug 2020 4:32:48
वर्षों तक अदालत में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को विधिवत भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी। अब राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसे साढ़े तीन साल के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। राम मंदिर के शिलान्यास समारोह (Ram Mandir Bhoomi Pujan) का शुभ मुहूर्त 32 सेंकेड का था। 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकेंड तक रहा। ठीक समय पर पीएम मोदी ने मंदिर के लिए पहली ईंट रखीं।
कोरोना संकट की वजह से इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों को ही निमंत्रण दिया गया था। जबकि राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कई चर्चित लोगों ने उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से घर पर रहकर ही पूरा कार्यक्रम देखा।
Respected Advocate Sri K Parasaharan who argued for Sri Ram Lalla Virajmaan viewing Bhumipujan of #SriRamMandir at his home with deep devotion . Heartfelt moments ... 🙏🙏🙏 pic.twitter.com/PSC4do4zvC
— B L Santhosh (@blsanthosh) August 5, 2020
सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान का पक्ष रखने और उनका केस लड़ने वाले वरिष्ठ वकील 92 वर्षीय के. परासरण ने घर से ही टीवी पर भूमि पूजन का पूरा कार्यक्रम देखा। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष द्वारा ट्विटर पर शेयर की गई तस्वीर में परासरण काफी भावुक नजर आ रहे थे।
परासरण को राममंदिर के निर्माण के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास में संस्थापक सदस्य बनाया गया है। उनके निवास आर-20, ग्रेटर कैलाश पार्ट 1 के पते पर ही इस ट्रस्ट को पंजीकृत भी किया गया है। कई सालों तक रामलला विराजमान के वकील रहे अधिवक्ता के। परासरण काफी सम्मानित हैं और अब तक कई तरह के सम्मान से सम्मानित भी हो चुके हैं।
कौन है परासरण?
तमिलनाडु के श्रीरंगम में जन्मे परासरण ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। अपने छह दशक के करियर में उन्होंने कई अहम मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिंदू शास्त्रों के अच्छे जानकार परासरण वकीलों के खानदान से आते हैं। वे दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं। जब देश में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया तब वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे। 1980 में वह देश के सॉलिसिटर जनरल बने और 1983 से 1989 तक वह देश के अटॉर्नी जनरल रहे। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पद्म भूषण तो मनमोहन सरकार में पद्म विभूषण से नवाजा गया। वे राष्ट्रपति द्वारा छह साल के लिए राज्यसभा के लिए भी चुने गए।
बता दे, अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि हमें आपसी प्रेम-भाईचारे के संदेश से राम मंदिर की शिलाओं को जोड़ना है, जब-जब राम को माना है विकास हुआ है जब भी हम भटके हैं विनाश हुआ है। सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, सबके साथ से और विश्वास से ही सबका विकास करना है। कोरोना के कारण जैसे हालात हैं, राम के द्वारा दिया गया मर्यादा का रास्ता जरूरी है।
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