राखी सावंत को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, करना होगा अदालत में सरेंडर

By: Rajesh Bhagtani Mon, 22 Apr 2024 4:13:20

राखी सावंत को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, करना होगा अदालत में सरेंडर

नई दिल्ली। राखी सावंत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। SC ने राखी सावंत की ओर से दाखिल की गई अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें 4 हफ्ते में निचली अदालत में सरेंडर करने को कहा है।

गौरतलब है कि राखी पर उनके एक्स पति आदिल का कथित अश्लील वीडियो लीक करने का इल्जाम है। आदिल ने अपना वीडियो लीक करने का आरोप लगाकर राखी के खिलाफ एक FIR दर्ज करवाई थी। आदिल की शिकायत पर राखी पर IPC की धारा 500, धारा 34 और धारा 67 ए (इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्पष्ट अश्लील सामग्री प्रकाशित करना) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।

बता दें कि, बॉम्बे हाईकोर्ट से राखी को कोई राहत नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें झटका लगा है। एक तरफ जहां कोर्ट ने अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है तो वहीं दूसरी ओर राखी सावंत को 4 हफ्तों में निचली अदालत में सरेंडर होने को भी कहा गया है। अब 4 हफ्ते के भीतर राखी को निचली अदालत मे सरेंडर करना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करती हैं तो उनके साथ मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।

यह मामला राखी सावंत से अलग रह रहे उनके पति आदिल दुर्रानी की शिकायत के आधार पर उपनगरीय अंबोली थाने में सूचना प्रौद्योगिकी कानून की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया था। दुर्रानी ने सावंत पर उन्हें बदनाम करने के लिए कई ऑनलाइन मंचों पर उन दोनों के निजी वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगाया है।


गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी में राखी सावंत ने कहा कि उन्हें परेशान करने, उन पर दबाव डालने, झूठे एवं फर्जी मामले में उन्हें फंसाने की एकमात्र मंशा से उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। राखी सावंत ने कहा कि यह प्राथमिकी कुछ नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इसमें कोई दम नहीं है। उन्होंने अपने वकील के मार्फत जमानत याचिका दायर की थी।

इससे पूर्व निचली अदालत ने कहा था कि अभिनेत्री राखी द्वारा कथित रूप से ‘प्रसारित या प्रकाशित’ सामग्री न केवल ‘अश्लील है बल्कि पूरी तरह यौन सामग्री है’। इसने कहा, ‘तथ्यों, आरोपों और घटना से जुड़ी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद (अदालत इस राय पर पहुंची है कि) यह अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।’

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