भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया कि पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर जैसे गंभीर मुद्दों पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए।
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा, "मैं विपक्ष की सर्वसम्मति से अपील को दोहराता हूं कि संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाए। पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर चर्चा करना न सिर्फ आवश्यक है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र की बुनियाद है। इन मुद्दों पर चर्चा करना लोगों और उनके प्रतिनिधियों के लिए बेहद ज़रूरी है, खासकर तब जब इसकी घोषणा सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी। यह हमारे सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित करने का अवसर भी है। मुझे विश्वास है कि आप इस मांग पर गंभीरता से विचार करेंगे और शीघ्र ही पहल करेंगे।"
My letter to PM Shri @narendramodi requesting to convene a special session of the Parliament to discuss the Pahalgam Terror Attack, Operation Sindoor and the Ceasefire announcements first from Washington DC and later by the Governments of India and Pakistan. pic.twitter.com/bhHf3euTkk
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 11, 2025
मल्लिकार्जुन खरगे ने भी जताई चिंता, विशेष सत्र की मांग दोहराई
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा, "आपको स्मरण होगा कि 28 अप्रैल 2025 को लोकसभा और राज्यसभा के विपक्षी नेताओं ने संयुक्त रूप से आपसे अनुरोध किया था कि पहलगाम हमले के मद्देनज़र संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। अब जब ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर की घोषणा हो चुकी है, तो विपक्ष के सभी दल फिर एकमत होकर विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते मैं यह मांग आपके सामने दोहराता हूं।"
कपिल सिब्बल ने भी उठाई आवाज़
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाए। उन्होंने कहा कि सरकार सभी दलों को स्थिति की पूरी जानकारी दे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच क्या बातचीत होगी, इस पर भी स्पष्टता होनी चाहिए।