राजस्थान के 4 बड़े कलाकारों को पद्मश्री सम्मान, अपने-अपने क्षेत्र में हैं बड़ी हस्ती

By: Shilpa Fri, 26 Jan 2024 1:27:47

राजस्थान के 4 बड़े कलाकारों को पद्मश्री सम्मान, अपने-अपने क्षेत्र में हैं बड़ी हस्ती

जयपुर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के विभिन्न क्षेत्रों विज्ञान, उद्योग, कला, सामाजिक कार्य, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, इंजीनियरिंग, व्यापार, खेल से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई, जिसमें देश भर की 34 हस्तियां शामिल हैं। राजस्थान के 4 कलाकारों को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई, जिसमें मांड गायकी के बादशाह अली-गनी बंधु, भीलवाड़ा के 'बहरुपिया कलाकार' जानकी लाल और जयपुर के ध्रुवपद गायक लक्ष्मण भट्ट तैलंग के नाम शामिल हैं। इन सभी कलाकारों का जीवन अपनी कला को सजाने सहेजने में बीता। इनका योगदान सिर्फ अपनी कला को समृद्ध करना नहीं रहा, बल्कि उसे नए मकाम तक ले जाने और देश-विदेश में इसकी पहचान दिलाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।

ये चारों अपने क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां हैं। केंद्र सरकार ने राजस्थान की जिन चार हस्तियों को पद्मश्री सम्मान देने का एलान किया है उनमें दो सगे भाई हैं। ये दोनों मांड गायकी के बादशाह हैं। इन्हें गायकी के क्षेत्र में अली-गनी बंधु नाम से जाना जाता है। इनके पूरे नाम अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद हैं। बाकी दो में से एक भीलवाड़ा के बहरुपिया कलाकार जानकी लाल और जयपुर के ध्रुवपद गायक लक्ष्मण भट्ट तैलंग शामिल हैं।

गजल गायकी और मांड गायकी 'उस्ताद' अली-गनी भाई

बीकानेर के तेजरासर जैसे छोटे से गांव से निकलने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद भाइयों की जोड़ी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। दोनों भाइयों की जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी को नए मक़ाम पर पहुंचाया है. अली- गनी बंधुओं ने ग़ज़ल को सुगम और सहज संगीत के साथ जोड़ा। इतना नहीं राजस्थान की पारम्पारिक मांड गायकी में भी इनका बड़ा नाम है। दोनों की जोड़ी ने कई हिंदी फिल्मों में ग़ज़ल गायकों पंकज उदास, मनोहर उदास और अनूप जलोटा के लिए भी संगीत दिया है।

ध्रुवपद गायकी के मास्टर लक्ष्मण भट्ट तैलंग को पद्मश्री

जयपुर के रहने वाले 93 साल के ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग को भी पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। लक्ष्मण भट्ट ध्रुवपद गायकी के महान कलाकार हैं। ध्रुवपद गायकी काफी कठिन गायन माना जाता है। इसमें साहित्य और संगीत की बेहद ही खूबसूरत जुगलबंदी होती है। यह कोई खुला संगीत नहीं है, बल्कि इसमें साहित्यिक और गायन के निश्चित नियम होते हैं और यह गायन इसी के भीतर गाया जाता है। लक्ष्मण भट्ट 93 साल के हैं और वो आज भी नई पीढ़ी को ध्रुवपद गायकी की शिक्षा देते हैं।

जानकी लाल बहरुपिया को भी पद्मश्री

जानकी लाल बहरुपिये भीलवाड़ा के जानी मानी शख्सियत हैं। जानकी लाल बहरुपिये भीलवाड़ा में सब बाबा के नाम से पुकारते हैं। बहरूपिया कला विलुप्त होती कला शैली है। बहरूपिया कला के महारथी जानकी लाल इस लुप्त होती कला शैली 6 दशक से जिंदा रखे हुए है। जानकी लाल बहरुपिये को अपने इस कार्य के लिए पद्मश्री दिया जा रहा है।

दिग्गज विभूतियों को दिया जाता है पद्मश्री सम्मान

देश के विभिन्न क्षेत्रों विज्ञान, उद्योग, कला, सामाजिक कार्य, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, इंजीनियरिंग, व्यापार, खेल से जुड़ी दिग्गज विभूतियों को पद्मश्री सम्मान दिया जाता है। इस बार देशभर से 34 विभूतियों को यह सम्मान दिया गया है।

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