लागू हुआ 45 दिन में पेमेंट देने का नियम, MSME सेक्टर में होगा बड़ा बदलाव
By: Rajesh Bhagtani Mon, 01 Apr 2024 5:37:39
नई दिल्ली। एक अप्रैल, 2024 से नए वित्त वर्ष 2024-25 का आगाज हो चुका है। नए वित्त वर्ष में अलग-अलग सेक्टर में कई नियम बदले हैं। इन्हीं में से एक माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम इंटरप्राइजेज सेक्टर (MSME) भी है। MSME सेक्टर के पेमेंट नियमों में आज से बड़ा बदलाव हो गया है। अब एमएसएमई को पेमेंट 45 दिन में मिला करेगा। अगर कोई कंपनी 45 दिन में गुड्स या सर्विस सप्लाई का पेमेंट करने में असफल रही तो इस रकम को उसकी इनकम मान लिया जाएगा और उसे टैक्स देना पड़ेगा। यह नियम MSME के कैश संकट को दूर कर उन्हें बहुत फायदा पहुंचा सकता है।
भुगतान न करने पर लगेगा 30 फीसदी टैक्स
नए नियमों के अनुसार, अगर कोई बड़ी कंपनी MSME को लिखित एग्रीमेंट के तहत 45 दिन में पेमेंट नहीं करेगी तो वह अपनी इनकम में से इस रकम को खर्च के तौर पर नहीं दिखा सकेगी। भुगतान न करने पर यह रकम कंपनी की कमाई मान ली जाएगी और उसे 30 फीसदी टैक्स देना होगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम इंटरप्राइजेज (FISME) ने इस निर्णय का स्वागत किया है। साथ ही नए पेमेंट नियम को MSME सेक्टर के लिए गेम चेंजर बताया है।
नए नियम से डर रहे छोटे कारोबारी
हालांकि, इस नियम को लेकर कुछ एमएसएमई ने शंका भी व्यक्त की है। उनका कहना है कि नया पेमेंट नियम लागू होने के बाद बड़े खरीदार उनकी जगह किसी और से खरीदारी करने लगेंगे। नियमों के अनुसार, इन नियम से सिर्फ उन्हीं MSME को फायदा होगा, जो उद्यम में रजिस्टर्ड हैं। उद्यम में रजिस्टर्ड कारोबारियों को आशंका है कि नए नियम से बचने के लिए बड़ी कंपनियां गैर रजिस्टर्ड एमएसएमई से ज्यादा कारोबार करने लगेंगे। इसी साल फरवरी में कई राज्यों के उद्योग संगठनों ने इस नियम को अप्रैल, 2025 से लागू करने की मांग की थी।
हालांकि, FISME ने कहा है कि छोटे कारोबारियों को घबराने की जरूरत नहीं है। बड़ी कंपनियां अपने भरोसेमंद सप्लायर की जगह नए लोगों को मौका देने से पहले 1000 बार सोचेंगी। सिर्फ लेट पेमेंट करने के लिए वो अपने कारोबार को खतरे में नहीं डालेंगी। ये आभासी डर है। नए नियम ने वित्तीय अनुशासन आएगा। यदि किसी विपरीत परिस्थिति के चलते पेमेंट लेट होता है तो कंपनियों को उसे आगे एडजस्ट करने का विकल्प भी दिया गया है। समय से पेमेंट होने से विवाद और कानूनी झगड़ों पर लगाम लगेगी। साथ ही MSME इकोसिस्टम में कारोबारी पारदर्शिता भी आएगी।