शिवसेना को समर्थन देना है या नहीं? शरद पवार ने कहा - तय करेंगी सोनिया गांधी
By: Pinki Mon, 11 Nov 2019 12:40:46
महाराष्ट्र में यह तो साफ़ हो गया कि बीजेपी की सरकार नहीं बनने वाली है। ऐसे में अब सभी की निगाहें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी पर लगी हुई है। दरअसल, शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया था लेकिन रविवार को चुनाव नतीजों के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भारतीय जनता पार्टी ने राज्यपाल को बता दिया है कि वह सरकार बनाने में सक्षम नहीं है। बीजेपी के ना करने के बाद राज्यपाल ने शिवसेना से पूछा कि क्या वह सरकार बनाना चाहेगी? राज्यपाल से मिले ऑफर के बाद शिवसेना ने आखिरकार सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ा लिया है। शिवसेना ने राकांपा और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। वही NCP प्रमुख शरद पवार ने Shiv Sena के साथ सरकार बनाने की संभावनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हम सरकार बनाने को लेकर कोई भी फैसला कांग्रेस से बात किए बगैर नहीं करने जा रहे हैं। उधर, कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर CWC की बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी शिवसेना को समर्थन को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करने के बाद ही कोई फैसला लेगी। बता दे, कांग्रेस के 44 में 37 विधायक इस बात पर सहमत बताए जा रहे हैं कि शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के पक्ष में हैं। कांग्रेस के विधायकों को फिलहाल जयपुर में रखा गया है और दिल्ली में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस मसले पर बैठक कर रहा है।
इन सब के बीच, केंद्र की मोदी सरकार में शामिल शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफे का ऐलान किया है। ट्विटर पर इस्तीफे के फैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। झूठे माहौल के साथ नहीं रहा सकता है। अरविंद सावंत ने कहा कि 11 बजे इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। यह फैसला ऐसे में उन्होंने किया है जब महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनाने की खबरें हैं। अरविंद सावंत के इस्तीफे के ऐलान के साथ ही तय हो गया है कि शिवसेना एनडीए से बाहर हो गई है।
बता दे, शिवसेना और बीजेपी का साथ 30 साल पुराना है। लेकिन अपनी शर्तों पर सरकार न मिलने के चलते शिवसेना ने इस साथ को छोड़ने का मन बना लिया है। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन 1989 में हुआ था। ये वो वक्त था जब शिवसेना की कमान उसके संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के हाथों में थी, जो हिंदुत्व का बड़ा चेहरा थे। बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन भी हिंदुत्व के विचार पर ही आगे बढ़ा। बाला साहेब ठाकरे के जिंदा रहने तक दोनों पार्टियां का गठबंधन बदस्तूर चलता रहा लेकिन 2012 में उनके निधन के बाद जब 2014 में विधानसभा चुनाव हुए तो शिवसेना और बीजेपी अलग हो गईं। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, बाद में शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गई। माना जा रहा है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में साथ सरकार बनाने के लिए शिवसेना के सामने शर्त रखी थी कि उसे पहले एनडीए से नाता तोड़ना होगा। हालांकि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के भी समर्थन जरूरत पड़ेगी। लेकिन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि आज 10 बजे मीटिंग होने वाली है और उसमें आलाकमान के निर्देश के मुताबिक फैसला लिया जाएगा। लेकिन उसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक का जो फैसला है कि हमें विपक्ष में ही बैठना चाहिए।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था। लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था। शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ। इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई।