डिजिटल मीडिया के लिए नियमन लाएगी सरकार, कमेटी का हुआ गठन

By: Priyanka Maheshwari Fri, 06 Apr 2018 10:11:49

डिजिटल मीडिया के लिए नियमन लाएगी सरकार, कमेटी का हुआ गठन

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने डिजीटल मीडिया के नियमन के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में अलग-अलग मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को सम्मलित किया गया है। इस सिलसिले में एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया है जो ‘फेक न्यूज’ पर मंत्रालय के विवादास्पद दिशानिर्देशों की व्यापक आलोचना होने पर उसे वापस लिए जाने के एक दिन बाद आया। यह कमेटी डिजीटल मीडिया कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगी।

चार अप्रैल को जारी आदेश के मुताबिक इस 10 सदस्यीय कमेटी (समिति) में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और गृह मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे। इनके अलावा, इसमें विधि विभाग और औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के सचिव भी रहेंगे। कमेटी में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया( पीसीआई), न्यूज ब्रॉडकॉस्टर एसोसिएशन और इंडियन ब्रॉडकॉस्टर फेडरेशन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। आदेश में कहा गया है कि निजी टीवी चैनलों पर विषय वस्तु का नियमन‘ कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता’ करता है, जबकि प्रिंट मीडिया का नियमन के लिए पीसीआई के पास अपने नियम कायदे हैं।

ऑनलाइन मीडिया वेबसाइटों और न्यूज पोर्टल के नियमन के लिए कोई नियम या दिशा-निर्देश नहीं है। इसलिए, डिजिटल प्रसारण एवं मनोरंजन/ इंफोटेनमेंट साइटों और न्यूज/मीडिया एग्रेगेटर है।आदेश ऑनलाइन मीडिया/न्यूज पोर्टल के लिए एक नियामक ढांचे का सुझाव देने तथा उसे बनाने के लिए एक कमेटी गठित करने का फैसला किया गया है। आदेश में कहा गया है कि कमेटी ऑनलाइन मीडिया/ न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन विषय वस्तु मंचों के लिए उपयुक्त नीति बनाने की सिफारिश करेगी। ऐसा करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), टीवी चैनलों के कार्यक्रम एवं विज्ञापन संहिता सहित पीसीआई के नियमों को भी ध्यान में रखा जाएगा।

गौरतलब है कि मंत्रालय ने ‘फेक न्यूज’ को रोकने के लिए दो अप्रैल को नियमों की घोषणा की थी। इसके तहत‘ फेक न्यूज’ प्रकाशित या प्रसारित करने वाले पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने/ स्थायी रूप से खत्म करने की बात कही गई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश वापस ले लिया। दरअसल, मीडिया संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने इन नियमों की आलोचना करते हुए इसे स्वतंत्र प्रेस की आवाज दबाने वाला बताया था।

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