जानिए क्या है आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी के अधिकार का आदेश, जिसके खिलाफ डॉक्टर आज 12 घंटे के हड़ताल पर
By: Priyanka Maheshwari Fri, 11 Dec 2020 12:11:50
आयुर्वेद छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दिए जाने के फैसले के खिलाफ आज यानी 11 दिसंबर 2020 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की की अगुवाई में देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल का ऐलान किया है। आईएमए (IMA) ने कहा है कि 11 दिसंबर को सभी डॉक्टर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। आईएमए के अनुसार देश में 10 हजार क्लीनिक, डिस्पेंसरी और अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल रहेगी। डॉ। राजन शर्मा का कहना है कि सरकार ने अभी भी उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया तो आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन तेज हो सकता है।
देशव्यापी हड़ताल के दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाएं बंद रहेंगी। हालांकि, आईसीयू (ICU) और सीसीयू (CCU) जैसी इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी। आईएमए की बुलाई हड़ताल के दौरान निजी अस्पतालों में ओपीडी (OPD) तो बंद रहेंगी, लेकिन सरकारी अस्पताल खुले रहेंगे। निजी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं जारी रहेंगी।
आइए हम जानने की कोशिश करते है कि डॉक्टर्स केंद्र के फैसले के खिलाफ क्यों विरोध में हैं और इस संबंध में उनकी क्या आपत्तियां हैं।
आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) ने आयुर्वेद के कुछ खास क्षेत्र के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है। केंद्र सरकार ने हाल में एक अध्यादेश जारी कर आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की भी अनुमति दी है। CCIM ने 20 नवंबर 2020 को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं।
58 तरह की सर्जरी की मंजूरी
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने की मंजूरी देता है जिसमें 39 जनरल सर्जरी है, जिन्हें आयुर्वेद की भाषा में 'शल्य' कहा जाता है और 19 तरह की सर्जरी आंख, नाक, कान और गला से जुड़ी है, जिसे 'शालक्य' कहा जाता है। विवाद इसी फैसले को लेकर है। सरकार इससे पहले 2016 में भी ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी कर चुकी थी और यह अधिसूचना 2016 के पहले के मौजूदा नियमों में प्रासंगिक प्रावधानों का स्पष्टीकरण है।
आयुष मंत्रालय की ओर से इस विवाद को लेकर सफाई भी दी गई थी। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह अधिसूचना आयुर्वेद में स्नातकोत्तर शिक्षा की शल्य और शलाक्य धाराओं के संबंध में हैं। अधिसूचना में यह कहा गया है (इस विषय में पहले जारी अधिसूचना से अधिक स्पष्ट रूप) कि स्नातकोत्तर डिग्री की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को कुल 58 सर्जिकल प्रक्रियाओं में व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित किए जाने जरुरत होती है ताकि शिक्षा पूरी करने के बाद वे इसे स्वतंत्र रूप से करने के योग्य हो जाएं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि अधिसूचना विशेष रूप से इन सर्जिकल प्रक्रियाओं के बारे में है और किसी अन्य प्रकार की सर्जरी करने की इन शल्य और शलाक्य स्नातकोत्तर पास छात्रों को अनुमति नहीं देती।
क्या कहना है आईएमए का
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे है। आईएमए ने संकेत दिया है कि आने वाले हफ्तों में आंदोलन तेज हो सकता है। IMA ने कहा है कि CCIM की अधिसूचना और नीति आयोग की ओर से चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। संगठन ने कहा कि यह चिकित्सा शिक्षा या प्रैक्टिस का भ्रमित मिश्रण या खिचड़ीकरण है। खासतौर से सरकार के निर्णय को लेकर ऐलोपैथी के डॉक्टरों में काफी नाराजगी है। एसोसिएशन ने अधिसूचना वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है। डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने तो सरकार के इस फैसले को मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ तक करार दिया है।
आईएमए इसी फैसले के खिलाफ है और आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा का कहना है कि स्नातकोत्तर आयुर्वेद शल्य चिकित्सा पद्धति पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन का आदेश मिक्सोपैथी (आयुर्वेद) को वैध बनाने के लिए दिया गया है। आयुर्वेद अब भी शुद्धता और पहचान की चुनौतियों से जूझ रहा है।
तो वहीं गाजियाबाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जनरल सेक्रेटरी डॉ वानी पुरी का कहना है कि मिक्सोपैथी यानि खिचड़ी चिकित्सा पद्धति से किसी का भी भला नहीं होने वाला बल्कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का क्षय ही होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को यह चाहिए कि वह हर एक पद्धति को स्वतंत्र रूप से विकसित करें ना की विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को आपस में मिलाएं।
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