ईद से पहले सूरत में 600 साल पुरानी ईदगाह को लेकर गहराया विवाद, गुजरात हाईकोर्ट पहुंचा

By: Rajesh Bhagtani Sat, 22 Mar 2025 3:44:10

ईद से पहले सूरत में 600 साल पुरानी ईदगाह को लेकर गहराया विवाद, गुजरात हाईकोर्ट पहुंचा

अहमदाबाद। सूरत में 600 साल पुरानी ईदगाह को लेकर चल रहा विवाद गुजरात हाई कोर्ट पहुंच गया है। ईदगाह की जमीन गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (GETCO) को हस्तांतरित करने के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील और सरकारी वकील के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को शांत किया और अगली सुनवाई बुधवार (26 मार्च) के लिए निर्धारित की।

मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आईएच सैयद ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि 2 अप्रैल को ईद के त्यौहार को देखते हुए अगली सुनवाई को आगे के लिए टाल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए बहुत से लोग इकट्ठा होंगे। इस कारण अगली सुनवाई 2 अप्रैल के बाद होनी चाहिए।"

जब हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या कोई समस्या है, तो वकील ने बताया कि ईदगाह के पास जीईटीसीओ के अधिकारी निर्माण कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईदगाह के आसपास की जमीन के दोनों तरफ एक बड़ा क्षेत्र है, जहां वे ईदगाह परिसर को नुकसान पहुंचाए बिना निर्माण कार्य जारी रख सकते हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने आगे तर्क देते हुए कहा कि यह ईदगाह 600 साल पुरानी धार्मिक इमारत है और इसे छुआ या नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।

हालांकि, सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस मामले को अनावश्यक रूप से अलग रंग दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।" अदालत में जल्द ही वाकयुद्ध शुरू हो गया, क्योंकि वकील सैयद ने सरकारी वकील को जवाब देते हुए कहा, "आप इसे अलग रंग दे रहे हैं।"

उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, "अभी तक कोई निर्णय नहीं दिया गया है, क्योंकि हमने दोनों पक्षों की दलीलें पूरी नहीं की हैं। तो आप एक-दूसरे से क्यों लड़ रहे हैं? आप सही या गलत हो सकते हैं। यह मामला अभी भी लंबित है। कोई भी निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों की बात सुनी जाएगी।"

अदालत ने आगे कहा कि जनहित में प्राधिकारियों द्वारा किए जा रहे किसी भी वैध निर्माण कार्य को बिना उचित औचित्य के बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

हालांकि, कोर्ट रूम में गरमागरम बहस जारी रही। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 600 साल पुरानी संरचना को आस-पास के निर्माण कार्यों के कारण नुकसान पहुंचने का खतरा है। जब उन्होंने अपनी दलील के दौरान 'अव्यवस्था' शब्द का इस्तेमाल किया, तो सरकारी वकील ने इस टिप्पणी की आलोचना की और कहा कि इस व्यावसायिक मामले को धार्मिक कोण देने का प्रयास किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने दोहराया कि अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है, और अगली सुनवाई बुधवार के लिए निर्धारित की है।

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