
अगर आप सोचते हैं कि केरल की हर खास जगह आपने घूम ली है, तो कंथलूर आपके उस भ्रम को जरूर तोड़ देगा। मुन्नार की रौनक और भीड़ से थोड़ा दूर बसा यह शांत, खूबसूरत और बेहद आकर्षक गाँव मानो प्रकृति के खजाने में छिपा हुआ कोई मोती है। पहाड़ों की ताजगी, फलदार बागानों की खुशबू, घुमावदार हरी ढलानें और यहां की शांत फिज़ा मिलकर दिल में एक अलग ही सुकून भर देती हैं। खासकर सर्दियों में यह इलाका किसी पोस्टकार्ड जैसा सुंदर दिखाई देता है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि पूरे केरल में केवल कंथलूर ही एकमात्र जगह है जहां सेब की खेती की जाती है, इसी वजह से इसे प्यार से ‘केरल का कश्मीर’ कहा जाता है।
आज भी ज़िंदा है पुराना ‘विनिमय प्रथा’ का ज़माना
कंथलूर की असली खूबसूरती सिर्फ प्रकृति नहीं, बल्कि यहां की परंपराएं भी हैं। गांव में एक बेहद अनोखी दुकान है जो 1962 से आज तक ‘बार्टर सिस्टम’ पर चल रही है। यहां ग्रामीण अपने खेतों से लाए अदरक, लहसुन, सरसों, बीन्स और अन्य सब्जियां देते हैं और बदले में चावल या जरूरत की दूसरी चीजें ले जाते हैं।
करीब 160 परिवार इस परंपरागत दुकान पर निर्भर हैं। आधुनिक दौर में भी इस पुराने सिस्टम का कायम रहना कंथलूर को एक अलग ही पहचान देता है।
जब पहाड़ पहन लेते हैं नीले फूलों की चादर
कंथलूर की सबसे दुर्लभ और दिल मोह लेने वाली घटना है—नीलकुरिंजी का खिलना। हर 12 साल में यह जादुई फूल खिलता है और पूरे पहाड़ों को नीले रंग से रंग देता है। यह दृश्य इतना अद्वितीय है कि दुनिया भर के प्रकृति प्रेमी इसे देखने के लिए यहां आते हैं।
पिछली बार नीलकुरिंजी वर्ष 2018 में खिला था। अगर आप उस नज़ारे को देखने से चूक गए, तो अगला मौका 2030 में मिलेगा। स्थानीय जनजातियाँ पहले अपनी उम्र का हिसाब भी इसी चक्र के अनुसार लगाती थीं—एक नीलकुरिंजी सीजन यानी 12 साल!
यहां मिलता है प्राकृतिक चंदन का खजाना
कंथलूर और इसके पास का इलाका मरयूर, केरल की उन चुनिंदा जगहों में शामिल है जहां प्राकृतिक रूप से चंदन के पेड़ उगते हैं। सरकार इन जंगलों की सुरक्षा करती है, और यहां की हवा में चंदन की हल्की-सी मिठास हमेशा घुली रहती है।
स्थानीय लोग चंदन के तेल को ‘लिक्विड गोल्ड’ कहते हैं। वन विभाग की फैक्ट्री में रखी इसकी सुनहरी बोतलें देखते ही नाम का कारण समझ में आ जाता है।
कंथलूर में घूमने के बेहतरीन स्थान
कंथलूर आने का मतलब सिर्फ पहाड़ देखना नहीं, बल्कि यहां के अनुभवों में खो जाना है। यहां कई जगहें आपको खास महसूस करवाती हैं:
फलों के बाग़ और ऑर्गेनिक फार्म
सेब, स्ट्रॉबेरी और संतरे के बागानों में घूमते हुए ताज़ा फल तोड़ना किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए अनोखा अनुभव है। घने कोहरे के बीच ताज़े जूस का स्वाद—बस अविस्मरणीय!
मुनियारा डोलमेन्स
लगभग 3000 ईसा पूर्व के ये नवपाषाण काल के दफन कक्ष इतिहास प्रेमियों के लिए अनमोल धरोहर हैं। मुन्नार से करीब 55 किलोमीटर दूर ये जगह बीते युगों की कहानियां समेटे हुए है।
जंगल, झरने और वाइल्डलाइफ़
एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए यहां के घने जंगलों में छिपे झरनों तक ट्रैकिंग करना एक शानदार अनुभव है। इसके अलावा चिन्नार वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुरी और अनामुडी शोला नेशनल पार्क में दुर्लभ वन्यजीवों को देखा जा सकता है।
क्योर मोनेस्ट्री
चंदन के जंगलों और शांति में बसे इस मठ की यात्रा मन को पूरी तरह शांत कर देती है।
कंथलूर घूमने का सबसे सही समय
इस खूबसूरत हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सितंबर से मार्च का समय बिल्कुल परफेक्ट माना जाता है। इस अवधि में मौसम सुहावना रहता है और दक्षिण भारत की गर्मी से बचकर सर्दी का एहसास भी मिल जाता है।













