जयपुर में पर्यटकों की पहली पसंद बनता हैं आमेर का किला, जानें इससे जुड़ी जरूरी जानकारी

By: Ankur Fri, 11 Feb 2022 6:10:57

जयपुर में पर्यटकों की पहली पसंद बनता हैं आमेर का किला, जानें इससे जुड़ी जरूरी जानकारी

राजस्थान में जब भी घूमने की बात आती हैं तो सबसे पहले राजधानी जयपुर में स्थिति आमेर किले का नाम आता हैं जो पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। हिन्दू-राजपूताना वास्तुशैली पर आधारित यह किला अपनेआप में एक इतिहास को दर्शाता हैं। यह किला आज भी पूरे राजस्थान का गौरव बना हुआ है। आमेर फोर्ट जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है। अपने गौरवपूर्ण एवं समृद्ध इतिहास के चलते आमेर का किला पर्यटकों से भरा रहता हैं और इसके बारे में जानने की लोगों के मन में जिज्ञासा रहती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं आमेर किले के इतिहास, वास्तुकला, संस्कृति एवं विभिन्न दर्शनीय स्थलों के साथ-साथ अन्य जानकारी के बारे में...

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

आमेर किले का इतिहास

पुरानी इमारतें और किलें अपने ढांचे के साथ अपना एक इतिहास छोड़ जाती है। ऐसे ही जयपुर में आमेर का किला का इतिहास भी काफी रोचक है। इसकी पुरानी इमारतों ध्यान देने से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि आमेर पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका है। इसका निर्माण एक जनजाति के द्वारा करवाया गया था, जिसे मीनास कहा जाता था। इतिहासकारों के तथ्य के अनुसार यह पता चला है कि राजस्थान के मौजूदा इस सबसे बड़े आमेर किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 16वी शताब्दी में हुई थी। इसके पहले मूल रूप से आमेर की स्थापना 967 ई. में राजाराम सिंह द्वारा किया गया था, जिनका ताल्लुक राजस्थान के मीणाओं में चंदा वंश से था। राजा मान सिंह के बाद से लगातार डेढ़ सौ वर्षो तक राजा मानसिंह के उत्तराधिकारी और शासकों के द्वारा इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का देखभाल संभाला गया था।

इसके बाद सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी राजधानी आमेर से जयपुर को बना दिया था। उसी समय सबसे पहले जयपुर को राजधानी बनाई गई थी। आमेर किला देखा जाए तो यह भारत के सबसे प्राचीनतम किले में से एक है। इसी किले के अंदर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर स्थित है, जिसे राजा मान सिंह के समय बनाया गया था। यहाँ कुछ लोगों का मानना यह भी है कि इस किले का नाम आमेर भगवान शिव के अंबिकेश्वर रूप पर रखा गया था। वहीं कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि आमेर किले का नाम मां दुर्गा के अम्बा नाम से लिया गया है।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

आमेर किला के प्रमुख दर्शनीय स्थल

मावठा झील


आमेर के किले के नीचे मावठा झील यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। मावठा झील का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने 1664 में बनवाया था। मावठा झील के नजदीक ही केसर की कई क्यारियों का निर्माण किया गया है, जिसकी खुशबू आमेर के दुर्ग में आने वाले पर्यटकों के पास भी पहुंचती है।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

दीवान-ए-आम

पर्यटक जैसे ही आमेर के किले में प्रवेश करते हैं, वह चौक पर संगमरमर से बनी दीवान-ए-आम है। यह एक भवन है, जो 40 खंभों से मिलकर बना हुआ है। उस समय यहीं पर राजा का दरबार लगाया जाता था, जहां आम जनता भी होती थी। दीवान-ए-आम को भी मिर्जा राजा जयसिंह ने ही बनवाया था।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

दीवान-ए-खास ( शीश महल )

दीवान-ए-खास का निर्माण राजा जयसिंह ने ही करवाया था। यहां कांच की सुंदर कारीगरी देखने को मिलती है। महा कवि बिहारी ने इसे दर्पण धाम के नाम से पुकारा है। दीवान-ए-खास आमेर किले का वह स्थान है, जहां राजा अपने सामंतों के साथ बैठकर किसी मुद्दे पर बात विचार करते थे।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

सुहाग मंदिर (सौभाग्य मंदिर)

सुहाग मंदिर विशेष रूप से रानियों के लिए था, जहां से वह दीवान-ए-आम के नजारे एवं वहां हो रहे काम को देखा करती थी। आमेर किला के महत्वपूर्ण मंदिरों के अंतर्गत सुहाग मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

जगतशिरोमणि मंदिर

आमेर किले के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में जगतशिरोमणि मंदिर बेहद प्रसिद्ध मंदिर है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण मानसिंह प्रथम की पत्नी ने अपने पुत्र जगत सिंह के स्मरण में बनवाया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में श्री कृष्ण की काले रंग की मूर्ति भी विद्यमान है। कहा जाता है कि इस मूर्ति की पूजा मीराबाई किया करती थीं, जिस कारण इस मंदिर का नाम मीरा मंदिर भी है।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

आमेर का किला की वास्तुकला और सरंचना

आमेर किला जयपुर शहर से केवल 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है राजस्थान के विशाल किले का रूट है जहां पर हिंदू शासक के पूरा तनिक शैली अंकित की गई है। जिसे राजपूताना शैली भी कहा जाता है। यदि इस किले को आप बाहरी रूप से देखेंगे तो आप को यह किला मुगल शासक की वास्तु शैली से प्रभावित हुई दिखाई देगी। लेकिन सच यह है कि यह अंदर से पूर्ण राजपूत स्थापत्य शैली में निर्मित है। दरअसल आमेर किले की वास्तुशैली मुगल और हिन्दू शासक दोनों से प्रभावित है। इसके लिए की वास्तु शैली काफी प्राचीन है वही इस किले के अंदर साहसी राजपूत शासकों की तस्वीर भी लगी हुई है। वहीं इस विशाल और भयावह किले के अंदर ऐतिहासिक महल उद्यान जलाशय एवं सुंदर मंदिर भी स्थित है जो पूरे किले की सुंदरता को काफी प्रभावित करता है।

आमेर किले के पूर्व में इसका प्रवेश द्वार स्थित है, यही मुख्य द्वार है, इसके साथ ही इसे सूर्यपाल या सूर्य द्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस द्वार का नाम सूर्य द्वार होने का कारण यह है कि इसका द्वार पूर्व में स्थित है। इसके बाद अंदर में चंद्र पोल द्वारा आता है, जो किले के अंदर दक्षिण भाग में स्थित है। चंद्रपाल द्वार के निकट जलेब चौक बना हुआ है जहां से सैलानी महल के प्रांगण में प्रवेश किया करते थे।

जलेबी चौक के सामने दो सीढ़ियां दिखाई देती है जिसमें से एक सीढ़ी राजपूत राजाओं की कुलदेवी शिला माता मंदिर की तरफ जाता है। इस मंदिर की चर्चा की जाए तो यह मंदिर किले के गर्भ गृह में स्थापित किया गया है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ काफी धार्मिक महत्व भी है। यहां पर आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। इस किले के जलेब चौक से दिखने वाली दूसरी सीढ़ी सिंहपोल द्वार की तरफ जाती है। इसके साथ ही यहाँ पर दीवान-ए-आम, भगवान गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति शोभायमान, दीवान-ए-खास, सुख महल, शीश महल समेत कई ऐतिहासिक और बेहद आर्कषक संरचनाएं बनी हुई है।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

आमेर का किला जाने का सबसे अच्छा समय

आमेर किला को अम्बर महल या अम्बर किला के नाम से भी जाना जाता है। यदि आप आमेर किला जाना चाहते हैं, तो आमेर का किला जाने का समय के बारे में आपको पता होना चाहिए। इससे आप यहां के विभिन्न पर्यटक स्थलों का और भी आनंद ले सकते हैं। बता दें कि आमेर किला घूमने के लिए साल भर में सबसे अच्छा महीना अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच का महीना है। यदि आप गर्मी के मौसम में आमेर किला घूमने जाते हैं तो यहां की गर्मी बर्दाश्त करने के बाहर हो जाती है क्योंकि गर्मी के समय यहां का तापमान 40 डिग्री से 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है। ऐसे समय पर जाने पर आप यहां अच्छे से घूमने का लुफ्त नहीं उठा पाएंगे। इसलिए यदि आप सर्दियों के समय आमेर का किला जाना चाहते हैं, तो यह घूमने के लिए सबसे अच्छा समय होगा।

amer fort,tourist destination amer fort,rajasthan tourist destination

आमेर का किला घूमने के लिए शुल्क

आमेर किला घूमने के लिए बेहद ही आकर्षक स्थल है। भारतीयों एवं अन्य पर्यटकों के लिए इस किले का शुल्क अलग अलग रखा गया है। जानकारी के लिए बता दें कि यदि आप आमेर किला घूमने के लिए जा रहे हैं, तो भारतीयों के लिए 50 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट और भारतीय स्टूडेंट्स के लिए 10 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट लगते हैं। वहीँ विदेशी सैलानियों के 550 रुपए प्रति व्यक्ति और विदेशी स्टूडेंट्स के लिए 100 रुपए निर्धारित किए गए हैं। आप आमेर किला के कई प्रमुख दर्शनीय स्थलों जैसे विद्याधर उद्यान, जंतर मंतर वेधशाला और सिसोदिया रानी उद्यान के साथ साथ अल्बर्ट हॉल संग्रहालय एवं नाहरगढ़ किला भी घूम सकते हैं। इतना ही नहीं इस टिकट के जरिए आप हवा महल एवं अम्बर के लिए के भी खूबसूरत नजारों का भी आनंद ले सकते हैं।

आमेर किला पहुंचने के लिए मार्ग


आमेर के किले में जाने के लिए सबसे पहले आपको जयपुर पहुंचना होगा। बता दें कि जयपुर शहर सड़क एवं वायु दोनों मार्गों से जुड़ा हुआ है। गोल्डन ट्रायंगल के महत्वपूर्ण हिस्सों में जयपुर का नाम भी आता है। यदि आप पंजाब, राजस्थान अथवा हरियाणा के निवासी हैं, तो आप ट्रेन या रोड ट्रिप लेकर जयपुर जा सकते हैं। यदि आप दिल्ली से जयपुर जाना चाहते हैं, तो इसके लिए भी कई ट्रेनें उपलब्ध हैं। जयपुर जाने के बाद आमेर के किले तक जाने के लिए आपको जयपुर के केंद्र से 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। इसके बाद आमेर के किले तक पहुंचना बेहद आसान हो जाता है क्योंकि यहां पर्यटक बसें, सरकारी बसें एवं टैक्सियां आदि मौजूद होती हैं। इसकी मदद से आप आसानी से सीधे आमेर के किले तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अपनी सवारी के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं।

आमेर किला के स्थानीय एवं स्वादिष्ट भोजन

आमेर किला के स्थानीय भोजन की बात करें तो भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के अंतर्गत आने वाला यह एक ऐसा स्थान है, जहां आपको एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिल सकता है। राजाओं के समय से ही यहां चले आ रहे स्वादिष्ट व्यंजनों की संस्कृति देखने को मिलती है। यहां के प्रमुख स्थानीय भोजन में दाल बाटी चूरमा के साथ साथ इमरती और घेवर आदि मिठाईयां शामिल है। घेवर के अलावा यहां गजक, चूरमा और यहां का प्रसिद्ध हलवा भी काफी स्वादिष्ट होता है। इसके अलावा यहां प्राचीन काल से चली आ रही पारंपरिक राजस्थानी थाली का मजा भी आप ले सकते हैं, जो राजाओं के समय से चली आ रही है। इतना ही नहीं आमेर किला के स्थानीय स्ट्रीट फूड भी काफी प्रसिद्ध हैं, जो यहां के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

ये भी पढ़े :

# शादी के बाद देश की इन 8 जगहों का कर सकते हैं हनीमून डेस्टिनेशन के लिए चुनाव

# ऋषिकेश में लेना चाहते हैं खरीददारी का आनंद, ये 6 जगहें रहेगी बेस्ट

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com