आध्यात्मिकता के साथ इतिहास का भी केंद्र बनते है ये 10 भारतीय मंदिर, आइये जानें
By: Priyanka Maheshwari Mon, 04 Dec 2023 11:32:10
भारत एक विशाल देश हैं जिसे आध्यात्मिकता का केंद्र कहा जाता हैं जहां 20 लाख से भी अधिक हिंदू मंदिर हैं। देशभर में एक से बढ़कर एक भव्य मंदिर हैं जो अपनी कला और सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। प्राचीन काल में मंदिर सामाजिक केंद्र के महत्वपूर्ण स्थल थे जो कारीगरों की बेहतरीन शिल्प कला की याद भी दिलाते हैं। वास्तुकला की बात करें तो अधिकतर मंदिर नागर या उत्तरी शैली, द्रविड़ या दक्षिणी शैली और वेसरा या मिश्रित शैली के हैं। इन मंदिरों की नक्काशी में भारतीय संस्कृति, कला व सौंदर्य का अनूठा संगम है। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आध्यात्मिकता के साथ इतिहास का भी केंद्र बनते है। आइये जानते हैं इनके बारे में...
ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के पुष्कर में स्थित इस मंदिर की संरचना 14वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस मंदिर को करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर के बीचों-बीच ब्रह्मा और उनकी दूसरी पत्नी गायत्री की मूर्ति है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यहां पर साल में दो बार मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के बहुत सारे तीर्थ यात्री और पर्यटक भाग लेते हैं।
विट्ठल मंदिर, कर्नाटक
शायद यह मंदिर हम्पी परिसर के सभी मंदिरों में से सबसे अधिक लोकप्रिय है। यहां मशहूर म्युज़िकल पिलर्स हैं जिनमें से अद्भुत ध्वनि निकलती है। अंग्रेज इस ध्वनि का रहस्य जानना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दो खंभे कटवा दिए, लेकिन उन्हें वहां खोखले खंभों के अलावा कुछ नहीं मिला। मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर कभी एक बाजार हुआ करता था, जहां घोड़ों का व्यापार किया जाता था। आज भी हम सड़क के दोनों ओर बाजार के अवशेष देख सकते हैं। मंदिर में घोड़े बेचने वाले फारसियों की मूर्तियां अभी भी मौजूद हैं।
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड
पवित्र केदारनाथ धाम हजार वर्षों से एक महत्वपूर्ण तीर्थ रहा है। वर्तमान मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। आदि गुरु शंकराचार्य जी के समय से यहां पर दक्षिण भारत से जंगम समुदाय के रावल व पुजारी मंदिर में शिव लिंग की पूजा करते हैं, जबकि यात्रियों की ओर से पूजा इन तीर्थ पुरोहित से ब्राह्मणों द्वारा की जाती है। केदारनाथ दुनियाभर में अपनी खूबसूरती और महिमा के लिए जाना जाता हैं।
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में मौजूद इस मंदिर को चार धाम यात्रा में शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना है। यह इतना पुराना है कि इस मंदिर की चर्चा पुरातात्विक तथ्यों में भी देखने को मिलता है। यह मंदिर पांच मंजिला है, जिसमें लगभग 72 खंभे हैं। इस मंदिर की विशालता अति प्राचीन है।
दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान
ये मंदिर माउंट आबू से लगभग 2.5 किमी दूर स्थित है और इन पांचों मंदिरों में से हर एक मंदिर अपने आप में अद्वितीय है। इनका निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी (ईस्वी) के बीच हुआ था। ये मंदिर संगमरमर के अद्भुत उपयोग के लिए प्रसिद्ध हैं। ये पांच मंदिर (विमल वसाही, लूना वसाही, पित्तल हर मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और महावीर स्वामी मंदिर) दुनिया के सबसे सुंदर जैन तीर्थ स्थल माने जाते हैं।
लक्ष्मीनारायण मंदिर, दिल्ली
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। उड़ियन शैली में निर्मित इस मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बना है। यह मंदिर मूल रूप में 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था। उसके बाद पृथ्वी सिंह ने 1793 में इसका जीर्णोद्धार कराया। फिर 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरोद्धार कराया।
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक विशाल व प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर 108 दिव्य मंदिरों में से एक है। दक्षिण भारत के सबसे खूबसूरत और भव्य मंदिरों में शामिल इस मंदिर को छठी और नौवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। यह लगभग 156 एकड़ में फैला हुआ है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भी माना जाता है। इसकी सुंदरता देखने योग्य है।
बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
इस मंदिर को 1002 ईस्वी में राजाराज चोल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर शिव को समर्पित है, और द्रविड़ियन कला का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। बृहदेश्वर मंदिर, मंदिर निर्माण की सर्वश्रेष्ठ परंपरा का अनूठा संगम है। जिसमें वास्तुकला, चित्रकला और अन्य संबद्ध कलाएं सम्मिलित हैं। यह कई परस्पर संबंधित संरचनाओं से बना है, जैसे कि नंदी मंडप, एक स्तंभित पोर्टिको और एक बड़ा हॉल। इसके शीर्ष की ऊंचाई 66 मीटर है।
चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के बैलूर में स्थित चेन्नाकेशव मंदिर होयलस काल में बनाया गया है। यगाची नदी के किनारे स्थित यह मंदिर द्रविड़ शैली पर अधारित है। विष्णु भगवान को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर पौराणिक के पात्रों का चित्रांकन किया गया है। इसकी संरचना इतनी भव्य है कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता दी गई है। इसके तीन प्रवेश द्वारों में से पूर्वी प्रवेश द्वार सबसे अच्छा माना जाता है। इस मंदिर को विजयनगर के शासकों द्वारा चोलों पर उनकी विजय को दर्शाने के लिए बनाया गया था।
राम मंदिर, अयोध्या
धार्मिक नगरी अयोध्या भगवान श्री राम लला का जन्म स्थान के नाम से पूरी दुनिया में जाना जाता है। प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसे राम जन्मभूमि या राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। 15 वीं शताब्दी में, मुगलों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर को खंडित करने के बाद किया गया था। अभी वर्तमान में उसी जगह सुप्रीम के आदेशानुसार श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने मार्च 2020 में राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण शुरू किया। आने वाले कुछ समय मे भगवान राम को समर्पित भव्य मंदिर का निर्माण हो जाएगा।
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