Diwali 2022 : देश के इन शहरों में देखने को मिलता हैं दिवाली का अनोखा सेलेब्रेशन

By: Ankur Wed, 19 Oct 2022 12:15:36

Diwali 2022 : देश के इन शहरों में देखने को मिलता हैं दिवाली का अनोखा सेलेब्रेशन

भारत एक विशाल देश हैं जहां हर दिन कोई ना कोई पर्व और त्योहार सेलिब्रेट किया जाता हैं। लेकिन आने वाले दिनों में हिन्दू धर्म का एक बड़ा पर्व दिवाली आने वाला हैं। दिवाली खूब सारी रोशनी, प्यार और नई शुरुआत का प्रतीक है। दिवाली भारत का प्रमुख त्योहार है। दीपों का ये उत्सव पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन देश की कुछ खूबसूरत जगहें दिवाली सेलिब्रेशन के लिए जानी जाती हैं। दिवाली को यादगार बनाने के लिए जहां कुछ लोग फैमली और फ्रेंड्स के साथ दिवाली सेलिब्रेट करते हैं। वही कुछ लोग ऐसी डेस्टिनेशन्स पर जाकर दिवाली सेलिब्रेट करना पसंद करते हैं जहां का सेलेब्रेशन अपनेआप में अलग नजारा पेश करता हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप दिवाली में घूमने जा सकते हैं।

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वाराणसी

वाराणसी में देवताओं की दिवाली मनाई जाती है, जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। वाराणसी त्योहारों और आध्यात्म की भूमि है। बाबा विश्वनाथ की ये नगरी दिवाली पर दुल्हन की तरह सज जाती है। दीपों की रोशनी से रोशन बनारस का नजारा बेहद खूबसूरत लगता है। पूरा घाट दीयों से सज जाता है। दिवाली के दिन यहां की खास गंगा आरती का मजा भी ले सकते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दौरान देवी-देवता गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर आते हैं। गंगा नदी में प्रार्थना और दीये की जलाएं जाते हैं। और दीपों और रंगोली से सजे किनारे बेहद मंत्रमुग्ध कर देने वाले लगते हैं। देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा में आती है और दिवाली के 15 दिन बाद आती है।

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अमृतसर

दिवाली के दिन पंजाब का मशहूर शहर अमृतसर भी पूरी तरह से भक्ति में सराबोर हो उठता है। दिवाली के दिन स्वर्ण मंदिर का नजारा ऐसा लगता हो जैसी ये दीयों की रोशनी में नहा लिया हो। अमृतसर में लाइट की सजावट से गुरुद्वारे की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है। स्वर्ण मंदिर के पास अमृत सरोवर के किनारे बैठकर दिवाली के शोर में भी शांति मिलेगी। दिवाली पर जहां एक तरफ अमृतर का स्वर्ण मंदिर दीयों से जगमगाने लगता है, वहीं रात में आयोजित होने वाले कीर्तन और भजन का अनुभव आपकी दिवाली को बेस्ट बना सकता है।

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में दिवाली की शुरुआत 'वासु बरस' की रस्म से होती है जो गायों के लिए होती है। प्राचीन चिकित्सक धन्वंतरि को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग धनतेरस मनाते हैं। दिवाली के अवसर पर, महाराष्ट्रीयन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और पति और पत्नी के प्यार का जश्न मनाते हुए 'दिवाली चा पड़वा' मनाते हैं। भाई बीज और तुसली विवाह के साथ त्योहार खत्म होता है जो शादियों की शुरुआत का प्रतीक है।

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गुजरात

गुजरात में दीपावली दोहरे उत्साह के साथ मनायी जाती है। इस समय गुजरात के लोगों का वर्तमान साल खत्म हो जाता है और नए साल की शुरुआत होती है। गुजराती लोग दिवाली के अगले दिन गुजराती नव वर्ष के रुप में बेस्तु बरस मनाते हैं। यहां पर भी त्योहारों की लंबी परंपरा है। इनके उत्सव की शुरुआत वाघ बरस से होती है, उसके बाद धनतेरस, काली चौदस, दिवाली, बेस्तु बरस और भाई बीज के पर्व आते हैं।

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गोवा

गोवा में, दिवाली भगवान कृष्ण को समर्पित है जो राक्षस नरकासुर का नाश करते हैं। दिवाली से एक दिन पहले नरकासुर चतुर्दशी के दिन राक्षस के विशाल पुतले बनाए और जलाए जाते हैं। दिवाली के दौरान, गोवा और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कई लोग पाप से मुक्त होने के लिए अपने शरीर पर नारियल का तेल लगाते हैं।

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तमिलनाडु

तमिलनाडु में लोग पारंपरिक रूप से तिल के तेल से स्नान कर, नए कपड़े पहन और पटाखे फोड़कर पारंपरिक दीपावली मनाया करते हैं। तमिल लोग इस दिन अपने पड़ोसियों व रिश्तेदारों से मिठाई, सेवई और विशेष दिवाली लेगियम (एक तरह का हर्बल जैम) का आदान-प्रदान किया करते हैं। इसके अलावा कई लोग वहीं मंदिरों में जाकर इस दिन पर विशेष पूजा व प्रार्थना भी करते हैं। यहां पर रात में घरों को रोशनी से सजाने व देर रात तक पटाखे फोड़ने की परंपरा है।

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बंगाल

बंगाल में दिवाली काली पूजा या श्यामा पूजा के साथ मनाई जाती है जो रात की जाती है। देवी काली को हिबिस्कस के फूलों से सजाया जाता है और मंदिरों और घरों में पूजा की जाती है। भक्त मां काली को मिठाई, दाल, चावल और मछली भी चढ़ाते हैं। कोलकाता में दक्षिणेश्वर और कालीघाट जैसे मंदिर काली पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, काली पूजा से एक रात पहले, बंगाली घरों में 14 दीये जलाकर बुरी शक्ति को दूर करने के लिए भूत चतुर्दशी अनुष्ठान का पालन करते हैं। कोलकाता के पास बारासात जैसी जगहों पर, काली पूजा दुर्गा पूजा के रूप में भव्य तरीके से होती है, जिसमें थीम वाले पंडाल और मेले होते हैं। काली पंडालों के सामने, डाकिनी और योगिनी राक्षसों की आकृतियां भी देखी जा सकती हैं।

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तेलंगाना व आंध्रप्रदेश

तेलंगाना व आंध्रप्रदेश में भी लोग अपने घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की साफ सफाई करने के साथ साथ वहां पर साज सज्जा करते हैं। नए कपड़े व मिष्ठान्नों के उपहारों का आदान प्रदान करते हैं। इस दिन अपने दरवाजे पर रंगोली बनाकर दीपक व मोमबत्तियों से सजाते हैं। इन दोनों राज्यों में भी मंदिरों में विशेष पूजा के साथ साथ रात्रि में पटाखों को प्रतिस्पर्धा के रुप में जलाते हैं। कई शहरों में आतिशबाजी का नजारा देखते बनता है।

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