अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं — इस बार वजह है भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरियों के दरवाज़े बंद करने की मंशा। वॉशिंगटन में आयोजित एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने अमेरिकी टेक कंपनियों को आगाह किया कि वे अब भारत और चीन जैसे देशों से कर्मचारियों की भर्ती से परहेज़ करें। डोनाल्ड ट्रंप ने दो टूक शब्दों में कहा कि विदेशी वर्कफोर्स की अधिक भर्ती ने देश के मूल नागरिकों के रोजगार पर संकट खड़ा किया है। उन्होंने Google, Microsoft, Apple और Meta जैसी बड़ी कंपनियों को चेतावनी दी कि यदि वे अमेरिकी टैलेंट को प्राथमिकता नहीं देंगी, तो सरकार कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। गौर करने वाली बात यह है कि इन्हीं कंपनियों की कमान संभाल रहे कई शीर्ष अधिकारी भारतीय मूल के हैं, जो तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका को वैश्विक नेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय पेशेवरों के लिए अनिश्चित भविष्यभारत, जो दशकों से तकनीकी प्रतिभा का एक मजबूत केंद्र रहा है, अब इस नीति बदलाव से गहरे संकट में आ सकता है। H-1B वीजा के सहारे अमेरिका में काम कर रहे लाखों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर तलवार लटक सकती है। कॉलेज से लेकर कॉर्पोरेट सेक्टर तक, हजारों युवा हर साल अमेरिका में करियर बनाने का सपना लेकर निकलते हैं — ट्रंप की इस नीति से उनकी उम्मीदों को गहरा धक्का लग सकता है।
भारतीय टेक्नोलॉजी सेक्टर पर पड़ सकता है सीधा असरबेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहर, जो वैश्विक टेक्नोलॉजी हब के रूप में उभरे हैं, अमेरिकी कंपनियों पर बहुत हद तक निर्भर हैं। अगर अमेरिकी कंपनियाँ भारत में अपनी गतिविधियाँ सीमित करती हैं या नई भर्तियाँ रोक देती हैं, तो इससे भारतीय आईटी सेक्टर में सुस्ती आ सकती है। साथ ही, स्टार्टअप्स और स्किल डेवलपमेंट से जुड़ी कंपनियों की रफ्तार भी थम सकती है।
अमेरिकी कंपनियाँ दुविधा मेंट्रंप के बयान से अमेरिकी टेक इंडस्ट्री दुविधा में है। एक तरफ वे ट्रंप के राजनीतिक दबाव में हैं, दूसरी तरफ भारतीय प्रतिभा पर दशकों से उनकी निर्भरता रही है। भारतीय इंजीनियरों और डेवलपर्स ने इन कंपनियों की इनोवेशन क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। अब देखना यह है कि ये कंपनियाँ ट्रंप की धमकी के आगे झुकेंगी या अपनी पुरानी रणनीतियों पर कायम रहेंगी।
ट्रंप की नीतियों का भारत पर असरडोनाल्ड ट्रंप जब भी सत्ता में आए हैं, भारत के लिए चुनौतियाँ लेकर आए हैं — चाहे वह इमिग्रेशन नीति हो या व्यापार और टैरिफ़ की रणनीति। अब एक बार फिर, उनकी नजर भारतीय प्रतिभा और नौकरियों पर है, जिससे आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा और दशा दोनों प्रभावित हो सकती हैं।