इजरायल-ईरान जंग में रूस की धमाकेदार एंट्री, अमेरिका को दी खुली चेतावनी – पुतिन बोले, 'अब और नहीं'

इजरायल और ईरान के बीच चल रही तनावपूर्ण जंग में अब एक नया और बेहद चौंकाने वाला मोड़ आ गया है। इस युद्ध में रूस ने भी औपचारिक एंट्री कर ली है, और उसने न केवल ईरान का खुलकर समर्थन किया है, बल्कि अमेरिका को सीधी धमकी देने से भी पीछे नहीं हटा। इस घटनाक्रम ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है।

रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने एक तीखा बयान देते हुए अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह इजरायल को सीधे सैन्य मदद न दे। उन्होंने बेहद सख्त लहजे में कहा, हम वॉशिंगटन को इस तरह के काल्पनिक लेकिन संभावित विकल्पों के खिलाफ चेतावनी देते हैं। यह एक ऐसा कदम होगा जो पूरे इलाके को पूरी तरह से अस्थिर कर सकता है और गंभीर अंतरराष्ट्रीय परिणाम ला सकता है। रूस का यह बयान सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश भी देता है कि वह अब मूक दर्शक नहीं रहेगा।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने भी हालात की गंभीरता को उजागर करते हुए कहा कि अगर ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हमले जारी रहे, तो “दुनिया तबाही से केवल मिलीमीटर दूर रह जाएगी।” उनका बयान यह संकेत देता है कि संकट सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक बनता जा रहा है।

वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ शब्दों में कहा कि वो इस विषय पर चर्चा करने को तैयार नहीं हैं कि क्या इजरायल और अमेरिका मिलकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को मार सकते हैं। उन्होंने दो टूक कहा, “मैं इस संभावना पर चर्चा भी नहीं करना चाहता। मैं नहीं करना चाहता।” यह बयान एक गंभीर चेतावनी की तरह देखा जा रहा है, जो किसी भी क्षण युद्ध को और बड़ा बना सकता है।

पुतिन ने आगे यह भी स्पष्ट किया कि इजरायल ने मॉस्को को भरोसा दिलाया है कि ईरान के बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र में काम कर रहे रूसी विशेषज्ञों को किसी भी हवाई हमले में नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि रूस और ईरान के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं और रूस ईरान की परमाणु ऊर्जा सुरक्षा और जरूरतों को सुनिश्चित करने में पूरी भूमिका निभाएगा।

साथ ही, पुतिन ने यह भी बताया कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू दोनों के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि रूस इस संघर्ष को कूटनीतिक तरीके से हल करना चाहता है और उसने अपनी राय दोनों नेताओं को दे दी है।

दूसरी तरफ, नेतन्याहू का बयान भी बेहद भड़काऊ और रणनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि इजरायली हमलों से ईरान में शासन परिवर्तन संभव हो सकता है। ट्रंप ने भी आग में घी डालते हुए यह दावा किया कि “अमेरिका जानता है कि खामेनेई कहां छिपे हैं, लेकिन अभी उन्हें मारने का कोई इरादा नहीं।”

अब सवाल यह है कि अगर युद्ध की लपटें और भड़कती हैं तो क्या रूस, ईरान और अमेरिका-इजरायल के बीच सीधा टकराव होगा? स्थिति बेहद नाजुक मोड़ पर खड़ी है और एक छोटी सी चिंगारी भी पूरी दुनिया को संकट की आग में झोंक सकती है।