ईरान में फंसे भारतीय छात्रों का छलका दर्द: तीन रातों से सो नहीं पाए, बम धमाकों के बीच सरकार से लगाई सुरक्षित वापसी की गुहार

ईरान में जारी इजरायली हमलों के बीच वहां पढ़ाई कर रहे सैकड़ों भारतीय मेडिकल छात्र खौफ और बेचैनी के माहौल में फंसे हुए हैं। बम धमाकों की तेज आवाजें, गोलियों की गूंज और धीमी इंटरनेट स्पीड के बीच ये छात्र अपार्टमेंट के बेसमेंट में छिपकर दिन-रात गुजार रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि कई छात्रों ने भारत सरकार से हाथ जोड़कर मदद की अपील की है।

धमाकों से जागा डर, तीन रातों से नींद नहीं आई

तेहरान की शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में MBBS के तीसरे वर्ष में पढ़ रहे कश्मीर के इम्तिसाल मोहिदीन बताते हैं, “शुक्रवार को रात 2:30 बजे जोरदार धमाकों की आवाज आई। मैं घबराकर बेसमेंट में भागा। तब से लेकर अब तक चैन की नींद नहीं आई है। धमाके हमारे अपार्टमेंट से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर हुए।”

यूनिवर्सिटी बंद, छात्र बेसमेंट में छिपे


शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में 350 से ज्यादा भारतीय छात्र हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कक्षाएं स्थगित कर दी हैं और छात्रों को बाहर न निकलने की हिदायत दी है। इम्तिसाल कहते हैं, “हम 24 घंटे बेसमेंट में ही रहते हैं। बमों की आवाजों ने हमारा जीना मुश्किल कर दिया है। तीन दिनों से सोए नहीं हैं, बस यही सोच रहे हैं कि कब भारत वापस लौट सकें।”

भारतीय दूतावास की सलाह - घर में रहें, टेलीग्राम लिंक से जुड़ें

ईरान में बिगड़ती हालात को देखते हुए तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने सभी नागरिकों को घर में रहने की सलाह दी है। दूतावास ने एक टेलीग्राम लिंक और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। लेकिन छात्रों का कहना है कि अब हालात इतने डरावने हैं कि केवल सलाह और मैसेज से राहत नहीं मिल रही।

“हम डॉक्टर बनने आए थे, अब जिंदा लौटना चाहते हैं”

किरमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में MBBS के प्रथम वर्ष के छात्र फैज़ान नबी, जो श्रीनगर से हैं, बताते हैं, “हमारे शहर में भी गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं। माता-पिता दिन में 10 बार कॉल करते हैं। इंटरनेट इतना धीमा है कि कभी-कभी एक मैसेज भेजने में भी घंटे लग जाते हैं। हम यहां डॉक्टर बनने आए थे, अब बस जिंदा घर लौटना चाहते हैं।”

मिधात की अपील - अब बस भारत लौटने की उम्मीद है

जम्मू-कश्मीर के सोपोर की रहने वाली और ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में MBBS की छात्रा मिधात बताती हैं, “पहले हमले की रात सबसे डरावनी थी। धमाकों की आवाज इतनी पास से आई कि लगा जैसे हम वहीं हैं। यूनिवर्सिटी से कोई सहयोग नहीं मिला। भारतीय दूतावास व्हाट्सएप से संपर्क में है, लेकिन हम अब हर पल डर में जी रहे हैं।”

अब बस एक ही उम्मीद - भारत वापसी


ईरान का सीमित हवाई क्षेत्र और लगातार हो रही बमबारी ने छात्रों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। उन्हें नहीं पता कि हालात कब सुधरेंगे। अब उनकी सिर्फ एक ही भावुक अपील है – “हमें जल्द से जल्द भारत वापस बुलाया जाए।”