G-20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का सख्त संदेश, ड्रग-आतंक गठजोड़ के खिलाफ वैश्विक मुहिम की पेशकश

दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के मंच पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया के सामने भारत की दृढ़ और निष्पक्ष आवाज रखी। इस बार उनका मुख्य फोकस था—ड्रग तस्करी और आतंकवाद के बीच पनपती खतरनाक साझेदारी, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए लगातार बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

ड्रग-आतंक नेक्सस पर PM का नया वैश्विक प्रस्ताव

मोदी ने जी-20 देशों के नेताओं के सामने “G-20 Initiative on Countering the Drug-Terror Nexus” नामक एक विशेष अभियान शुरू करने का प्रस्ताव रखा। इसके जरिए वे दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बढ़ते खतरे के खिलाफ एकजुट होकर कदम उठाने होंगे।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने दो और महत्वपूर्ण सुझाव भी रखे— अफ्रीका के 10 लाख युवाओं को तकनीकी कौशल से सशक्त बनाना, दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में संरक्षित पारंपरिक और स्थानीय ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए एक वैश्विक प्लेटफॉर्म तैयार करना।

ड्रग्स केवल स्वास्थ्य नहीं, सुरक्षा का बड़ा संकट—मोदी

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा— “मादक पदार्थों की तस्करी आज वैश्विक समाज के लिए दोहरी चुनौती बन गई है। फेंटेनिल जैसे खतरनाक ड्रग्स तेजी से फैल रहे हैं, जिससे जनस्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता पर भी खतरा बढ़ा है। सबसे गंभीर बात यह है कि ड्रग्स का अवैध पैसा आतंकवाद को शक्ति देता है और हिंसा को पोषण करता है।”

मोदी ने स्पष्ट किया कि अलग-अलग देशों के अकेले प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे। जरुरी है कि जी-20 एक साझा रणनीति के तहत वित्तीय तंत्र, निगरानी व्यवस्था और सुरक्षा ढांचे को आपस में जोड़कर इस गठजोड़ को जड़ से खत्म करे।

भारत का अनुभव—सीमा पार आतंकवाद से जुड़ता ड्रग रैकेट

हालांकि मोदी ने अपने भाषण में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन भारत का अनुभव बताता है कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से प्रायोजित आतंकवाद में नशे के पैसों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2023 के नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने पहली बार घोषणा-पत्र में आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस सिद्धांत को शामिल करवाया था। वर्तमान प्रस्ताव उसी नीति को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।

भारत की वैश्विक नीति—आतंकवाद के हर रूप पर कड़ा रुख

मोदी लंबे समय से हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट नीति प्रस्तुत करते आए हैं—चाहे वह सीमा पार आतंकवाद हो, डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग हो या फिर आतंकी समूहों को फंडिंग देने के नए-नए तरीके। विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका की जी-20 अध्यक्षता के दौरान इस नई पहल को औपचारिक रूप दिया जा सकता है।

पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण पर भारत की पहल

अपने दूसरे प्रस्ताव में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा— “दुनिया की कई सभ्यताओं और समुदायों ने अपनी पारंपरिक और प्रकृति-संरक्षक जीवनशैली को पीढ़ियों से सुरक्षित रखा है। इन परंपराओं में सामाजिक एकता, सांस्कृतिक समझ और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता गहराई से निहित है। भारत सुझाव देता है कि जी-20 के दायरे में एक ‘ग्लोबल ट्रैडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी’ बनाई जाए, जिससे मानवीय बुद्धिमत्ता आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुंच सके।”

अफ्रीकी युवाओं के कौशल विकास पर भारत की बड़ी घोषणा

मोदी ने अफ्रीका की उभरती युवा आबादी की क्षमता की सराहना करते हुए कहा— “अफ्रीका का विकास केवल अफ्रीकी देशों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ‘G20 Africa Skills Multiplier Initiative’ का प्रस्ताव रखता है। यह ट्रेन-द-ट्रेनर्स मॉडल पर आधारित होगा और सभी सदस्य देश इसमें वित्त और तकनीक के माध्यम से सहभागी बन सकते हैं। लक्ष्य यह है कि अगली एक दशक में अफ्रीका में 10 लाख प्रशिक्षित ट्रेनर्स तैयार किए जाएं, जो आगे करोड़ों युवाओं को कौशल प्रदान करेंगे।”