विश्व का सबसे बड़ा शिव मंदिर, जहा मिला था ब्रह्मा जी को श्राप

बारिश का मौसम हैं और ऐसे समय में घूमने का मन तो होता ही हैं। इसी के साथ सावन का पवित्र महीना भी चल रहा हैं तो किसी ऐसी जगह पर घूमने जाया जाए जहाँ हमें शिव का आशीर्वाद मिल सकें। तो ऐसे में शिव के सबसे बड़े मंदिर घूमने जाए तो क्या कहने। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में स्थित अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर के बारे में। यह विश्व का सबसे बड़ा शिव मंदिर अहिं और इसके पीछे एक कहानी भी हैं जिसमें शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया था। ऐसा क्यों हुआ आइये जानते हैं, इसके बारे में।

* मंदिर की विशेषता


तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में शिव का अनूठा मंदिर है। अन्नामलाई पर्वत की तराई में स्थित इस मंदिर को अनामलार या अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर कहा जाता है। यहां हर पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। खासतौर पर कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल मेला लगता है। श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिव से कल्याण की मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि यह शिव का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है।

* मंदिर की कथा

एक बार ब्रह्माजी ने हंस का रूप धारण किया और शिवजी के शीर्ष को देखने के लिए उड़ान भरी। उसे देखने में असमर्थ रहने पर ब्रह्माजी ने एक केवड़े के पुष्प से, जो शिवजी के मुकुट से नीचे गिरा था, शिखर के बारे में पूछा। फूल ने कहा कि वह तो चालीस हजार साल से गिरा पड़ा है।

ब्रह्माजी को लगा कि वे शीर्ष तक नहीं पहुंच पाएंगे, तब उन्होंने फूल को यह झूठी गवाही देने के लिए राजी कर लिया कि ब्रह्माजी ने शिवजी का शीर्ष देखा था। शिवजी इस धोखे पर गुस्सा हो गए और ब्रह्माजी को शाप दिया कि उनका कोई मंदिर धरती पर नहीं बनेगा। वहीं केवड़े के फूल को शाप दिया कि वह कभी भी शिव पूजा में इस्तेमाल नहीं होगा। जहां शिवजी ने ब्रह्माजी को शाप दिया था, वह स्थल तिरुवनमलाई है।

* मंदिर का महत्व

वहीं अरुणाचलेश्वर का मंदिर बना है। यहां मंदिर पहाड़ की तराई में है। वास्तव में यहां अन्नामलाई पर्वत ही शिव का प्रतीक है। पर्वत की ऊंचाई 2668 फीट है। यह पर्वत अग्नि का प्रतीक है। तिरुवनमलाई शहर में कुल आठ दिशाओं में आठ शिवलिंग- इंद्र, अग्नि, यम, निरूथी, वरुण, वायु, कुबेर, इशान लिंगम स्थापित हैं। मान्यता है कि हर लिंगम के दर्शन के अलग-अलग लाभ प्राप्त होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर में शानदार उत्सव होता है। इसे कार्तिक दीपम कहते हैं। इस मौके पर विशाल दीपदान किया जाता है। हर पूर्णिमा को परिक्रमा करने का विधान है, जिसे गिरिवलम कहा जाता है। मंदिर सुबह 5।30 बजे खुलता है और रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में नियमित अन्नदानम भी चलता है।

* कैसे पहुंचे मंदिर


चेन्नई से तिरुवनमलाई की दूरी 200 किलोमीटर है। चेन्नई से यहां बस से भी पहुंचा जा सकता है। ट्रेन से जाने के लिए चेन्नई से वेल्लोर होकर या फिर चेन्नई से विलुपुरम होकर जाया जा सकता है। आप विलुपुरम या वेल्लोर में भी ठहर सकते हैं और तिरुवनमलाई मंदिर के दर्शन करके वापस लौट सकते हैं।