भारतीय समाज में जितने सभ्य लोग है उतने ही असभ्य भी। ऐसे कई असभ्य लोग हैं जो राह चलते हुए या अपने घर-परिवार में गालियों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे कई व्यक्ति होते हैं जो गुस्सा आने पर गालियाँ देकर अपने मन की भड़ास पूरी करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है अधिकतर गालियों जो होती है वह महिलाओं पर बोली जाती हैं। ज्यादातर गालियां औरतों के नाम पर बनी हैं लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिरकार महिलाओं के नाम पर गालियां क्यों बनाई गईं हैं। गालियों की भाषा में औरत, उसके शरीर या उसके रिश्ते का इस्तेमाल होता है। कभी हिंसा में तो कभी सेक्शुअल तंज के साथ लोग गालियां देते हैं। अब ऐसा क्यों है आइये जानते हैं।
औरतों पर बनी गालियां हमारे समाज के काले सच को उजागर करती हैं जहां आज भी किसी को नीचा दिखाने के लिए औरतों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपकी किसी के साथ लड़ाई हो जाती है और आप उसे नीचा दिखाना चाहते हैं या अपने मन की भड़ास निकालना चाहते हैं तो उन्हें गालियां देते हैं वो भी मां।।बहन।।की।
इससे पता चलता है कि औरतों का आज भी इस्तेमाल हो रहा है। आप और हम कहीं ना कहीं इस बात से सहमत हैं कि औरतों पर गालियां बनना गलत बात है, इससे औरतों की गरिमा की महिमा को हानि पहुंचती है।