फ्लाइट में सफर के दौरन अक्सर हम लोगों ने नोटिस किया है कि कई तरह के रूल्स फॉलो करने पड़ते हैं। जैसे सीट बेल्ट कब लगाना है और कब हटाना है, किस वक्त टॉयलेट का इस्तेमाल करना है, सीट के ऊपर के मौजूद ऑक्सीजन मास्क का इस्तेमाल कब और कैसे करना है, सीट के सामने मौजूद स्टैंड को कब खोलना है और बंद करना आदि। इन सब रूल्स की जानकारी फ्लाइट में मौजूद एयर होस्टेज या फिर फ्लाइट अटेंडेंट दे देता है लेकिन कई ऐसी चीजे प्लेन में होती है जिनके बारे में आपको नही बताया जाता। जैसे टेकऑफ और लैंडिंग के वक्त लाइट्स ऑफ क्यों कर दी जाती हैं? अक्सर आपके दिमाग में सफर के दौरन यह सवाल जरुर उठता होगा कि आखिर लाइट्स ऑफ क्यों कर दी जाती हैं? अब इस सवाल का जवाब हम आपको बताते है। प्लेन में टेकऑफ और लैंडिंग के वक्त लाइट्स बंद करने की एक नहीं बल्कि तीन वजह होती हैं...
- सबसे पहली वजह है अंधेरा एडजस्ट हो सके। दरअसल, अंधेरे में एडजस्ट करने में हमारी आंखों को तकरीबन 10 से 30 मिनट का वक्त लग जाता है। ऐसे में प्लेन में अगर अचानक कुछ हो जाए या फिर प्लेन में पावट कट हो जाए और ऐसे में यात्री हड़बड़ाए नहीं, इस वजह से लैंडिंग और टेकऑफ से काफी देर पहले बत्तियां बुझा दी जाती हैं।
- वही दूसरा कारण है एमरजेंसी लाइट्स का दिखना। लैंड और टेकऑफ के वक्त लाइट्स बुझाने की एक वजह यह भी है कि इससे एमरजेंसी लाइट्स साफ तौर पर नज़र आती हैं। ये एमरजेंसी लाइट्स आपकी सीट के ऊपर बनी रेड और येल्लो लाइट्स ही हैं, जो आपको हर एक्शन के लिए सिग्नल देने का काम करती हैं।
- वही प्लेन में लाइट्फ ऑफ करने की तीसरी वजह है लैंडिंग और टेकऑफ के वक्त ही सबसे ज्यादा एक्सिडेंट होते हैं। इसलिए अब एयरलाइन्स प्लेन उड़ाने और जमीन पर आने से पहले लाइट्स को बंद रखती हैं।