आप सभी यह तो जानते हैं कि जब दो विभिन्न पात्रों के पानी का मिश्रण तैयार किया जाता हैं तो उसमे यह पहचान कर पाना मुश्किल होता हैं कि कौनसा पानी किस पात्र का हैं। ऐसा ही कुछ नदियों के संगम के दौरान होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के संगम के दौरान ऐसा नहीं होता हैं और इन दोनों महासागर का पानी मिलकर भी नहीं मिल पाता हैं। आखिर इसके पीछे का रहस्य क्या हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।
दरअसल, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर अलास्का की खाड़ी में मिलते हैं, लेकिन हम ये कह सकते हैं कि ये दोनों महासागर मिलकर भी नहीं मिलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इनका पानी एक दूसरे में कभी मिश्रित नहीं होता है। हिंद महासागर का पानी अलग रहता है और प्रशांत महासागर का अलग।
आप देख सकते हैं कि दोनों महासागरों का पानी अलग-अलग का है। एक नीला दिखाई दे रहा है तो एक हल्का हरा। कुछ लोग इस रहस्य को धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखते हैं तो कुछ लोग इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हैं। आइए जानते हैं आखिर क्यों इन दोनों महासागरों का पानी एक दूसरे से नहीं मिलता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो दोनों महासागरों के नहीं मिलने की वजह खारे और मीठे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता का अलग-अलग होना है। माना जाता है कि जिस जगह पर दोनों महासागर मिलते हैं, वहां झाग की एक दीवार बन जाती है। अब अलग-अलग घनत्व के कारण दोनों एक दूसरे से मिलते तो हैं, लेकिन उनका पानी मिश्रित नहीं होता।
दोनों महासागरों के नहीं मिलने की एक और वजह बताई जाती है। माना जाता है कि अलग-अलग घनत्व के पानी पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो उनका रंग बदल जाता है। इससे ऐसा लगता है कि दोनों महासागर मिलते तो हैं, लेकिन उनका पानी एक दूसरे में मिल नहीं पाता।