आपने देखा ही होगा कि जब भी कभी किसी ओलंपिक खेलों का आयोजन होता हैं तो अधिकांश पदक चीन के नाम ही आते हैं। लेकिन जब भी बात क्रिकेट की आती हैं तो चीन कहीं भी दिखाई नहीं देता हैं। यह देश न तो क्रिकेट खेलता है और न ही यहां के लोग इस खेल को पसंद करते हैं। इसके पीछे की वजह बेहद हैरान करने वाली हैं जिसे जान आप भी सोच में पड़ जाएंगे।
दरअसल, चीन हमेशा से ओलंपिक का समर्थक रहा है और ओलंपिक में होने वाले खेलों के लिए ही वह मेहनत भी करता है। यही वजह है कि चीन के खिलाड़ी हमेशा ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतते हैं। चूंकि क्रिकेट ओलंपिक का हिस्सा नहीं है, इसलिए यह देश इस खेल को खास तवज्जो नहीं देता है।
चीन के क्रिकेट न खेलने के पीछे दूसरी वजह है कि अंग्रेजों द्वारा चीन का उपनिवेश कभी नहीं किया गया। जो देश क्रिकेट खेलते हैं, वह कभी न कभी ब्रिटिश उपनिवेश का हिस्सा रहे हैं। यहां भले ही क्रिकेट न खेला जाता हो, लेकिन चीन के लोगों को बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसे खेलों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह खेल ओलंपिक का हिस्सा हैं।
चूंकि क्रिकेट वैश्विक खेल नहीं है। यह दुनिया के कुछ ही देशों में खेला जाता है, जबकि चीन खेलों के माध्यम से भी दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ना चाहता है। ये भी एक वजह है कि चीन के लोगों को क्रिकेट कुछ खास पसंद नहीं है।
हालांकि अब आईसीसी क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए चीन में भी प्रचार-प्रसार कर रहा है। इसी साल जनवरी महीने में टी-20 टूर्नामेंट कराया गया था, जिसमें चीन की महिला टीम ने भी भाग लिया था, लेकिन मैच में उसने एक शर्मनाक रिकॉर्ड बना दिया था, जिसे कोई भी क्रिकेट टीम तोड़ना नहीं चाहेगी।
दरअसल, बैंकॉक में खेले गए टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में चीन की महिला टीम महज 14 रनों पर ढेर हो गई थी। महिला और पुरुष टी-20 के लिहाज से यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच का न्यूनतम स्कोर है। चीन ने यह मैच संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ खेला था।