परंपरा के नाम पर लड़कियों का विवाह करा दिया जाता है पवित्र ग्रंथ कुरान से

परंपरा के नाम पर इंसान कई ऐसी चीजें कर बैठता हैं जो समाज के लिए अनुचित नहीं होती हैं। ऐसी ही एक परंपरा से आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं जिसमें लड़कियों की शादी लड़कों से ना होकर कुरान से कराई जाती हैं। सुनने में अजीब लगता है लेकिन यह सच हैं कि पाकिस्तान में परंपरा के नाम पर कुछ लड़कियों का निकाह मुस्लिमों के पवित्र ग्रंथ कुरान से करवा दिया जाता है। इस परंपरा को हक बख्शीश कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, शादी करने के हक को त्याग देना। आइये जानते हैं इस परंपरा के बारे में।

ये परंपरा ना सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि इस्लाम भी इसकी इजाजत नहीं देता लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए मासूम लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। आज हम एक ऐसी ही प्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि प्रथा नहीं बल्कि कुप्रथा है। हक बख्शीश कुप्रथा की शिकार हुई लड़की जिंदगी भर कुरान की बीवी कहलाती है। कुरान से शादी के बाद लड़की किसी और पुरुष के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रख सकती है और ना ही किसी से शादी कर सकती है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इस प्रथा का चलन काफी ज्यादा है।

जानकारों और वहां के निवासियों के अनुसार इस प्रांत में जो परिवार अपनी बेटी की शादी में पैसे खर्च नहीं करना चाहते, वो उनका निकाह कुरान से करवा देते हैं। कुरान से निकाह करने वाली लड़की कभी किसी आदमी से निकाह नहीं कर सकती। इनका ज्यादातर समय कुरान पढ़ते हुए बीतता है। ये हफिजा बन जाती हैं यानी वो जिन्हें कुरान की हर बात जुबानी याद हो। पाकिस्तानी कानून के मुताबिक हक बख्शीश गैरकानूनी है। जो भी इसका दोषी पाया जाता है उसे 7 साल कैद की सजा दी जाती है। धार्मिक कारणों से इस कुप्रथा के ज्यादातर मामले कभी सामने ही नहीं आ पाते।

साल 2007 में न्यूज एजेंसी पाकिस्तान प्रेस इंटरनेशनल (PPI) ने इस कुप्रथा की शिकार हुई फरीबा नाम की लड़की के बारे में लिखा था। 25 साल की फरीबा काफी खूबसूरत थी लेकिन परंपरा के नाम पर उसका निकाह कुरान से करवा दिया गया था। इस मामले के सामने आने के बाद यूनाइडेट नेशन्स (UN) इन्फॉर्मेशन यूनिट द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ परिवार वाले अपनी जायदाद बचाने के लिए अपनी बेटी का निकाह कुरान से कर देते हैं।