देवी मां को पहनाया जाता है 177 साल पुराना 300 करोड़ का नौलखा हार, ये है इसका इतिहास

गुजरात (Gujarat) के महेसाणा में स्थित प्रसिद्ध बहुचराजी माता मंदिर में विजय दशमी पर देवी को 300 करोड़ का नौलखा हार चढ़ाया गया है। देवी को पहनाए जाने वाले हार को कड़ी निगरानी में रखा जाता है। यह हार साल में केवल एक ही बार पहनाया जाता है। मंदिर के प्रबंधक केसी जानी का कहना है कि यह हार 1839 में जब पहली बार गायकवाड़ परिवार ने देवी को चढ़ाया था, तब इसकी कीमत 9 लाख रुपये थी। इसीलिए इसे नौलखा हार भी कहा जाता है। विजय दशमी पर यहां मां बहुचर की भव्य पालकी निकलती है। इस दौरन मां को खास नौलखा हार पहनाने की परंपरा है।

देवी मां को जो हार चढ़ाया जाता है उसमें 6 बेशकीमती नीलम जड़े हैं। हार में 150 से ज्यादा हीरे लगे हुए हैं। ये हार करीब 177 साल पुराना है। इसकी मौजूदा कीमत 300 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

हार पहनाने के पीछे की ये है कहानी

देवी को ये हार चढ़ाने के पीछे के कहानी भी बेहद दिलचस्प है। वडोदरा के राजवी श्रीमंत मनाजीराव गायकवाड़ जब कड़ी तहसील के सूबेदार थे तब उन्हें असाध्य रोग हो गया था जिसके बाद देवी से मन्नत मांगी गई। इससे उनका दर्द ठीक हो गया और बाद में वह राजा भी बन गए। इसके बाद उन्होंने 1839 में देवी का भव्य मंदिर बनवाया और बहुचर देवी को बहुमूल्य नौलखा हार अर्पण किया।

बता दे, करोड़ों की कीमत का यह हार कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाता है, जिसे केवल दशहरे पर ही देवी मां को पहनाया जाता है। इस हार को पहनाए जाने के बाद देवी की सुरक्षा काफी बढ़ा दी जाती है। देवी के आस-पास कई हथियारबंद सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है।