नर्क मंदिर जहां की हर मूर्ति देती है नर्क की पीड़ा का संकेत, अपने पापों के प्रायश्चित के लिए जाते हैं लोग

मंदिर का नाम सुनते ही मन में एक निर्मल छवी बनने लगती हैं और देवी-देवताओं की खूबसूरत मूर्ती दिखाई देने लगती हैं। लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं उसका रूप ही कुछ अलग हैं। जी हाँ, दक्षिण पूर्वी एशिया के देश थाईलैंड के शहर चियांग माइ में एक ऐसा मंदिर है, जो किसी देवी-देवताओं की खूबसूरत मूर्तियों से नहीं बल्कि नर्क के कष्टों को दिखाती मूर्तियों से भरा हैं। यहां लोग मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा नर्क में भोगे जाने वाले कष्टों को देखने आते हैं।

थाईलैंड में प्राचीन समय से ही बौद्ध तथा हिंदू धर्म का प्रभाव रहा है। ऐसे में यहां की सभ्यता तथा संस्कृति पर भी काफी हद तक भारतीय प्रभाव रहा है। वहां के धार्मिक स्थलों पर भी ऐसा ही असर दिखाई देता है।

थाईलैंड की राजधानी बैंकाक से लगभग 700 किलोमीटर दूर चियांग माइ शहर में स्थित यह नर्क मंदिर अपने आप में न केवल अनूठा है वरन पूरी दुनिया का ही इकलौता मंदिर है।

इस मंदिर को बनाने का मूल विचार एक बौद्ध भिक्षु प्रा क्रू विशानजालिकॉन का था। वे लोगों को बताना चाहते थे कि पाप करने तथा पीड़ा पहुंचाने का परिणाम अंत में दुखदायी होता है। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने नर्क की परिकल्पना करते हुए एक ऐसा मंदिर बनवाया जहां लोग मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा भोगे जाने वाले कष्टों को देख सकें।

सिर्फ नाम से ही नहीं, बल्कि देखने में भी यह मंदिर नर्क की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं है वरन मृत्यु के बाद नर्क में किस तरह की यातनाएं दी जाती हैं, उसका प्रदर्शन करने वाली मूर्तियां स्थापित की गई हैं। यहां की हर मूर्ति नर्क की पीड़ा और कष्टों का संकेत देती हैं।

इस मंदिर में लोग अपने पापों का प्रायश्चित तथा पश्चाताप करने के लिए आते हैं। इस मंदिर को ‘वैट मे कैट नोई’ टेम्पल भी कहा जाता है। स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो यहां के दर्शन कर लेता है वह अपने पापों का प्रायश्चित कर लेता है।