देश में फैले कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपयोग कर रहे है। कुछ इस वायरस से बचने के लिए घर में कैद हो गए है वहीं कुछ लोग हवन यज्ञ का सहारा ले रहे है। सोनीपत के गोहाना के आहुलाना गांव में ग्रामीणों की तरफ से गांव की सुख-शांति, पर्यावरण शुद्धि और कोरोना वायरस से राहत के लिए हवन यज्ञ किया गया। हिमाचल से पहुंचे आचार्य वेदप्रकाश ने पूरे विधि-विधान से हवन करवाया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है। पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
न्यूज़ 18 की खबर के अनुसार आचार्य वेदप्रकाश का कहना है कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो हमें अनसुनी बीमारियों से लड़ऩा पड़ता है। अब विश्व में कोरोना वायरस का प्रकोप है। आचार्य चैतन्य ने कहा कि हवन में कुछ ऐसी विशेष जड़ी-बूटियां डाली गई हैं, जो वायुमंडल में घुलकर विभिन्न प्रकार के विषैले जीवाणुओं को खत्म करती हैं। इससे कोरोना वायरस से भी राहत मिलेगी।
इस मोके पर आहुलाना बारहा के प्रधान मलिक राज मलिक ने कहा कि गांव में आकस्मिक मौतें न हो, इस कामना के साथ भी हवन करवाया गया है। गांव की सुख-शांति और पर्यावरण शुद्धि और कोरोना वायरस से राहत के लिए हवन यज्ञ किया गया।
चूरू में भी कराया गया हवनराजस्थान में चूरू जिले में कोरोना संक्रमण ना हो इसके लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां सरकार लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक करने के काम में जुटी है वहीं कुछ लोग वैदिक संस्कृति का हवाला देते हुए वातावरण शुद्ध करने के लिए घरों में यज्ञ-हवन करने से भी नहीं चूक रहे हैं। कोरोना से मुक्ति के लिए न केवल प्रार्थनाएं की जा रही हैं बल्कि वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ-हवन में आहुतियां भी दी जा रही हैं। ऐसा ही नजारा मंगलवार को शहर के वार्ड नंबर 34 में हुआ। यहां कालमेघ, कपूर, गाय का देशी घी आदि से हवन सामग्री तैयार कर वातावरण शुद्धि के लिए हवन करवाया गया।
गायत्री शक्तिपीठ के पंण्डित रामलाल के सानिध्य में मोहल्ले की महिलाओं और पुरूषों ने यज्ञ में आहुतियां दीं। लोगों की मान्यता है कि इस विशेष औषधियुक्त हवन सामग्री से यज्ञ करने से कोरोना, स्वाइन फ्लू सहित सांस से संबंधित जो बीमारियां फैलती हैं उसकी रोकथाम होती है। वैदिक यज्ञ के माध्यम से गायत्री मंत्र और क्ली बीज मंत्र से गाय के दूध के घी, खेजड़ी और पीपल की लकड़ी और उपले के साथ यज्ञ किया जाए तो वायुमंडल से फैलने वाली बीमारियों को रोका जा सकता हैं। इतना ही नहीं वार्ड 34 के सांवरमल पाण्डे, महेश मिश्रा आदि कोरोना रोकथाम के लिए कॉलोनियों में जनजागरण भी कर रहे हैं।
बता दे, हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानि कपूर, लौंग, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोग में लिया जाता है। हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियाँ या उपले घी में डूबो कर डाले जाते हैं। हवन से हर प्रकार के 94% जीवाणुओं का नाश होता है, अत: घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए। हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है।