हमारे देश में कई मस्जिदें हैं। जिसमें सभी के अपने-अपने इतिहास और रोचक किस्से हैं। ऐसी ही एक मस्जिद हमारे देश में हैं जिसे एशिया की सबसे छोटी मस्जिद का दर्जा प्राप्त हैं। जी हाँ, भोपाल की सबसे पहली मस्जिद ढाई सीढ़ी मस्जिद ही एशिया की सबसे छोटी मस्जिद के रूप में जानी जाती हैं। आज बकरीद Bakrid 2018 के इस शुभ मौके पर हम आपको इस मस्जिद Masjid से जुडी बातें बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं भोपाल की ढाई सीढ़ी मस्जिद के बारे में।
भोपाल की ढाई सीढ़ी मस्जिद को देश की सबसे छोटी और भोपाल की सबसे पहली मस्जिद होने का दर्जा हासिल है। इसके अलावा इसे एशिया की सबसे छोटी मस्जिद भी कहा जाता है। ये मस्जिद नवाब दोस्त मोहम्मद खान द्वारा 1716 में बनवाई गई थी।
इस मस्जिद के नामकरण की अपनी एक कहानी है। इसके निर्माण के वक्त हर चीज़ यहाँ ढाई बनाई गई हैं- सीढ़ियाँ ढाई हैं, जिस जगह यह मस्जिद स्थित है, वहाँ कमरों की संख्या भी ढाई है। इसके अलावा पहले जिस रास्ते से यहाँ आया जाता था, वहाँ भी सीढ़ियों की संख्या ढाई ही है।
इस मस्जिद का इतिहास तीन सौ साल पुराना है। पुराने शहर में बड़े तालाब किनारे स्थित फतह गढ़किले की दीवों पर चौकसी के लिये बने गुंबद पर बनी इस मस्जिद में पहरेदार नमाज अदा किया करते थे। फतेहगढ़ क़िले में पहले पहरा देने वाले सैनिक नमाज अदा किया करते थे।
कहा जाता है कि जब अफ़ग़ानिस्तान के तराह शहर से नूर मोहम्मद ख़ान और उनके साहबजादे दोस्त मोहम्मद ख़ान भारत आए। बाद के समय में दोस्त मोहम्मद ख़ान ने इस जगह पर फतेहगढ़ क़िले का निर्माण कराया। इस क़िले की नींव का पत्थर क़ाज़ीमोहम्मद मोअज्जम साहब ने रखा था। क़िले की पश्चिमी दिशा में स्थित बुर्ज को मस्जिद की शक्ल दी गई थी।