जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र में ऑक्सीजन की कमी का खतरा पैदा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि दुनियाभर में 700 स्थानों की पहचान की गई है, जहां ऑक्सीजन की मात्रा कम है, जबकि 1960 में ऐसे मात्र 45 स्थान थे। इसी दौरान ऐसे स्थानों की संख्या चार गुना हो गई है, जहां पर ऑक्सीजन की मात्रा बिल्कुल नहीं है। समुद्री जीव गर्म तापमान, अत्यधिक मछली पकड़ने और प्लास्टिक प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। आईयूसीएन का कहना है कि अगर समुद्र में ऑक्सीजन कम होने की यही गति रही तो साल 2100 में वैश्विक स्तर पर समुद्र में घुली ऑक्सीजन की मात्रा में 3 से 4% की कमी आएगी। अभी ऑक्सीजन की मात्रा 2 फीसदी तक गिरी है।
अधिकतर ऑक्सीजन की कमी समुद्र की सतह से एक हजार मीटर की गहराई तक आएगी, जो समुद्री जैव विविधता के सबसे संपन्न हिस्से हैं। आईयूसीएन के कार्यवाहक निदेशक ग्रेथल एगुइलर का कहना है कि समुद्र में ऑक्सीजन की मात्रा में हो रही कमी को लेकर किए गए अध्ययन की समीक्षा से पहले ही समुद्र जीवों के संतुलन में अव्यवस्था पैदा हो गई है। टूना, मर्लिन और शार्क जैसी प्रजातियां पहले ही खतरे में हैं और अपने बड़े आकार और अधिक ऊर्जा जरूरत के चलते कम ऑक्सीजन की वजह से इन को ज्यादा खतरा है।