यह तो सम सभी जानते है कि सांप अपनी केंचुल छोड़ता है। लेकिन अगर हम आपसे कहे कि ओडिशा में रहने वाला एक बच्चा भी सांप की तरह अपनी त्वचा छोड़ता है तो आप जरुर से सोच में पड़ जायेगे। दरअसल, ओडिशा में रहने वाले 10 साल के जगन्नाथ को लैमलर इचियोसिस नाम की बीमारी है। लैमलर इचियोसिस में त्वचा के ऊपर एक पतली परत बन जाती है जिसे कोलोडियोन मेंब्रेन कहते हैं। यह धीमे-धीमे कड़ी होती जाती है और चकत्तों का रूप ले लेती है। कोलोडियोन मेंब्रेन कुछ हफ्तों में उतरती है। लेकिन इसमें बहुत दर्द होता है। इस पीड़ित इंसान को जीवन भर इसी के साथ रहना होता है। उसे हर दिन दर्द सहना होता है।
जगन्नाथ ओडिशा के गंजम जिले में अपने माता-पिता के साथ रहता है। इसकी त्वचा पर मोटे-मोटे गहरे रंग के चकत्ते बन जाते है। ये चकत्ते हर महीने निकल जाते हैं। उनकी जगह फिर नए चकत्ते निकल आते हैं। जगन्नाथ को यह बीमारी बचपन से ही है। यह बीमारी जीन्स में आई खराबी की वजह से होती है। इससे आदमी के शरीर की त्वचा बेहद धीमी गति से खुद को बनाती है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट को माने तो इस बीमारी से ग्रसित जगन्नाथ हर घंटे नहाता है। ताकि उसके शरीर से नमी बनी रहे। नमी कम होते ही उसकी त्वचा निकलने लगती है। इसमें उसे काफी दर्द होता है। इस बीमारी की वजह से जगन्नाथ के शरीर की त्वचा इतनी कठोर हो गई है कि अब उसे चलने-फिरने में किसी की मदद लेनी पड़ती है। जगन्नाथ के पिता प्रभाकर प्रधान चावल के खेतों में मजदूरी करते हैं। प्रभाकर इतना नहीं कमाते कि बच्चे का इलाज करा सकें। जगन्नाथ की आंखों पर भी कोलोडियोन मेंब्रेन बनी है। वह इतनी कड़ी है कि सोते समय वह अपनी पलकें भी बंद नहीं कर सकता।