नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा हैं। इन दिनों में भक्तगण माता के मंदिरों के दर्शन को लंम्बी-लंम्बी लाइनों में लगते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आखिर मातारानी की महिमा ही इतनी है कि भक्त उनके दर्शन को लालायित रहते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो मातारानी की शक्ति का प्रमाण देता हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
उत्तराखंड के नैनीताल डिस्ट्रिक्ट के रामनगर कस्बे से 15 किलोमीटर दूर ढिकुली के सुंदरखाल नामक गांव में स्थितय इस मंदिर को देखते ही भक्तों के मन में इसके बारे में जानने की इच्छा उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है जिसमें बिना सीढिय़ों के पहुंच जाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए टीले में लगभग 90 सीढिय़ा बनी हुई है। बोला जाता है कि यह मंदिर ऊपर के पहाड़ी क्षेत्रों से कोसी नदी में बहकर नीचे जा रहा है। यह मंदिर नदी में बह रहा है लेकिन यह मंदिर जारा सा भी हिला-ढुला नहीं है ।
मंदिर एक टीले के रूप में ही रह रहा था। और वर्तमान समय में जिस जगह गर्जिया माता का मंदिर है उसी जगहभैरो बाबा का मंदिर भी है। जिस वक्त मंदिर का निर्माण हुआ था । तो उसी समय भैरव बाबा ने बोला “थिरौ, बैणा थिरौ” इसका मतलब होता है कि ठहरो बहन ठहरो यहां मेरे साथ निवास करो। जब से गर्जिया माता उस जगह पर निवास करने लगी। इस मंदिर को देखते ही श्रद्घालाओं के मन में आस्था की भावना उमड़ पड़ी। यह मंदिर जिम नेशनल कॉर्बेट पार्क के पास है। इसलिए यहां लाखों की तदाद में लोग दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते है।