राजा-महाराजा काल में हर शख्सियत का अपना एक रूतबा था और सभी के अपने राजसी ठाठबांट थे। राजाओं को अपने ऐशोआराम के लिए जाना जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे ही अनोखे राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर दिन 35 किलो खाना खाते थे और इसी के साथ ही बचपन से वे जहर का सेवन भी करते आ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं गुजरात सल्तनत के शक्तिशाली शासकों में से एक महमूद बेगड़ा की। इस शासक के खाने का जिक्र इटली और पुर्तगाल के सैलानियों ने भी किया था। गुजरात के इस बादशाह का खुराक दुनियाभर में मशहूर था। ऐसा कहा जाता है कि वह नाश्ते में एक कटोरा शहद, एक कटोरा मक्खन और 100-150 केले खा जाते थे। सिर्फ यही नहीं, रात के समय भी उनके तकिए के दोनों तरफ खाना रख दिया जाता था, ताकि अगर उन्हें कभी भी भूख लगे तो तुरंत खा सकें।
महमूद बेगड़ा महज 13 साल की उम्र में ही गद्दी पर बैठे थे और 52 साल तक सफलतापूर्वक गुजरात पर राज किया था। उन्हें अपने वंश का सबसे प्रतापी शासक माना जाता था। महमूद बेगड़ा की मूंछे काफी बड़ी-बड़ी थी। पुर्तगाली सैलानी उनकी मूंछों के बारे में कहा करते कि वे इतनी लंबी और रेशमी थीं कि वे उसे साफे की तरह अपने सिर पर बांध लिया करते थे।
महमूद बेगड़ा का नाम महमूद शाह प्रथम था। उन्हें 'बेगड़ा' की उपाधि तब दी गई थी, जब उन्होंने 'गिरनार' जूनागढ़ और चम्पानेर के किलों को जीत लिया था। कहते हैं कि गिरनार किले पर बेगड़ा का अधिकार हो जाने के बाद यहां के राजा ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद उसकी सेना को सुल्तान की सेना में शामिल कर लिया गया था।
इतिहासकारों के मुताबिक, महमूद बेगड़ा को बचपन से ही किसी जहर का सेवन कराया गया था, जिसके बाद से वह हर रोज खाने के साथ थोड़ा-थोड़ा जहर भी लेते थे। इस बादशाह के शरीर में इतना जहर हो गया था कि अगर उनके हाथ पर कोई मक्खी भी बैठ जाती थी, तो वह भी पलभर में दम तोड़ देती थी। इतना ही नहीं, उनके इस्तेमाल किए हुए कपड़ों को कोई भी छूता तक नहीं था, बल्कि उसे सीधे जला दिया जाता था। क्योंकि महमूद बेगड़ा के पहने हुए कपड़े भी जहरीले हो जाते थे।