कोरोना वायरस के बचाव में काम आ रहे हैंड सैनिटाइजर का इस तरह हुआ था अविष्कार

आज पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका कोरोना वायरस (COVID - 19) जिसे वैश्विक महामारी घोषित किया गया। भारत में भी 500 से अधिक इसके मामले सामने आए हैं और 11 लोगों की मौत हो चुकी हैं। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अगले 21 दिन पूरे देश में लॉकडाउन किया गया हैं और लोगों को सलाह दी जा रही हैं कि बार-बार हाथ धोते रहें। ऐसे में हैंड सैनिटाइजर काफी मददगार साबित हो रहा हैं जो इस संक्रमण को फैलने से रोकने में मददगार साबित होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हैंड सैनिटाइजर का अविष्कार कैसे हुआ। आइये जानते हैं इसके बारे में। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहले इसे बनाने का आइडिया साल 1966 में अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड शहर में रहने वाली एक महिला को आया था, जिसका नाम ल्यूप हर्नान्डिज था। ल्यूप नर्सिंग की एक छात्रा थीं।

एक दिन अचानक उनके दिमाग में आया कि किसी मरीज के पास जाने से पहले या उसके पास से आने के बाद हाथ साफ करने के लिए साबुन और पानी न हो तो क्या होगा। इसके बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए, जो साबुन से कुछ अलग हो और बिना पानी के भी काम चल जाए, साथ ही उसके इस्तेमाल से कीटाणु भी मर जाएं। ऐसे में उन्होंने एक अल्कोहल युक्त जेल बनाया और उसे अपने हाथों पर रगड़ कर यह चेक किया कि उससे क्या फायदा होता है।

ल्यूप का अल्कोहल युक्त जेल काम कर गया। उससे कीटाणुओं का भी सफाया हो गया और पानी की तरह उसे सुखाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इस तरह ल्यूप का यह 'आविष्कार' धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया और बड़ी संख्या में इसका इस्तेमाल होने लगा। आज ल्यूप को बहुत कम ही लोग जानते हैं। उनकी निजी जिंदगी के बारे में तो किसी को भी नहीं पता और न ही कोई ये जानता है कि वो अभी जिंदा भी हैं या नहीं। लेकिन उनका ये 'आविष्कार' पूरी दुनिया को फायदा जरूर पहुंचा रहा है।

हाल के दिनों में हैंड सैनिटाइजर की 'आविष्कारक' के रूप में ल्यूप हर्नान्डिज का नाम सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। दुनियाभर के लोग उनका शुक्रिया अदा कर रहे हैं, जिनकी खोज की वजह से ही आज लाखों लोगों की जिंदगी बच गई है और आगे भी बचती रहेगी।