जानें रात को शवों का पोस्टमार्टम नहीं करने के पीछे का चौंकाने वाला राज

जब भी कभी कोई हादसा या अपराध होता हैं तो पुलिस द्वारा शव का पोस्टमार्टम कराया जाता हैं ताकि मौत के कारणों का पता लगाया जा सकें। हत्या जैसे मामलों में तो पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम कराया जाता ही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शवों का पोस्टमार्टम रात को नहीं कराया जाता हैं और सिर्फ दिन में ही इस प्रक्रिया को किया जाता हैं। इसके पीछे का कारण भी बेहद चौंकाने वाला हैं।

शवों का पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का ही होता है। इसके पीछे वजह ये है कि रात में ट्यूबलाइट या एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल के बजाए बैंगनी दिखाई देता है और फॉरेंसिक साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग दिखने से पोस्टमॉर्टम के रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। भारत के कोर्ट में मान्य जेसी मोदी की किताब जुरिस्प्रूडेंस टॉक्सिकोलॉजी में इस बात का उल्लेख भी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्यक्ति की मौत के बाद छह से 10 घंटे के अंदर ही पोस्टमॉर्टम किया जाता है, क्योंकि इससे अधिक समय होने के बाद शवों में प्राकृतिक परिवर्तन, जैसे कि ऐंठन होने लगते हैं। आपको ये भी बता दें कि रात में पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के पीछे एक धार्मिक कारण भी बताया जाता है। क्योंकि कई धर्मों में रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। ऐसे में कई लोग मृतक का पोस्टमॉर्टम रात को नहीं करवाते हैं।