धरती की ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत हैं सूर्य, जिसकी चमक से धरती पर उजाला और अँधेरा होता हैं। लेकिन अब जरा सोचिये कि अगर सूरज की चमक ही कम होने लगे तो पृथ्वी का क्या हाल होगा। वैज्ञानिको के लिए यह बड़ा सवाल बन रहा हैं कि क्या सच में सूरज की रोशनी पांच गुना कम हुई हैं क्योंकि आकाशगंगा में मौजूद अन्य तारों की तुलना में सूरज कमजोर पड़ गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज के प्रकाश थोड़ा बहुत नहीं बल्कि काफी ज्यादा कमजोर पड़ गया है। हालांकि वैज्ञानिक इसके पीछे की वजह पता करने में लग गए हैं।
धरती पर सूरज ही इकलौता ऊर्जा का स्रोत है लेकिन हजारों सालों से ये लगातार कमजोर होते जा रहा है। जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इसकी चमक कम होती जा रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन कर मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अन्य तारों की अपेक्षा सूरज की चमक और धमक फीका होते जा रहा है।
बता दें कि सूरज और उसके जैसे अन्य तारों का अध्यन उनकी उम्र, चमक और रोटेशन के आधार पर की गई है। पिछले 9000 सालों से इसकी चमक में 5 गुना की कमी आई है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि हमारे आकाशगंगा में सूरज से भी ज्यादा सक्रिय तारे मौजूद हैं। सूरज पिछले कुछ हजार साल से शांत है। इस चीज की गणना सूर्य के सतह पर बनने वाले सोलर स्पॉट से किया जाता है।
सन 1610 से लगातार सूरज पर बनने वाले सोलर स्पॉट कम होते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले साह ही करीब 246 दिन तक सूरज पर एक भी स्पॉट बनते नहीं देखा गया। सूरज के केंद्र से जब जब गर्मी की तेज लहर ऊपर उठती है तो सोलर स्पॉट बनते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सरल भाषा में हम ये कह सकते हैं कि सूरज थक गया हो और एक छोटी सी नींद ले रहा हो।
सूरज के केंद्र में अगर आग का विस्फोट नहीं हो रहा हो और सोलर स्पॉट नहीं बन रहे हैं तो इसका मतलब ये है सूरज अन्य तारों की तुलना में जरूर कमजोर हुआ है। उसकी चमक धीमी पड़ी गई है और रोशनी में कमी आई है।