भोजन में कई मासलों को काम में लिया जाता हैं और सभी अपनी विशेषता के चलते काम में लिए जाते हैं। इसी के साथ ही सभी की अपनी अलग-अलग कीमत होती हैं। आज इस कड़ी में हम जिस मसाले की बात करने जा रहे हैं उसे 'रेड गोल्ड' कहा जाता हैं क्योंकि उसकी कीमत ही इतनी होती हैं कि शायद ही कोई इसे एक किलो खरीदता होगा। हम बात कर रहे हैं केसर की जिसे दुनिया का सबसे महंगा मसाला कहा जाता है। इस मसाले के पौधे को भी दुनिया का सबसे महंगा पौधा कहा जाता है।
इसे उगाने वाले प्रमुख देशों में भारत समेत फ्रांस, स्पेन, ईरान, इटली, ग्रीस, जर्मनी, जापान, रूस, ऑस्ट्रिया, तुर्किस्तान, चीन, पाकिस्तान और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। भारत में इसकी खेती जम्मू के किश्तवाड़ और जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है।
इसे अंग्रेजी में सैफ्रन कहा जाता है। बाजार में केसर की कीमत ढाई लाख रुपये से तीन लाख रुपये प्रति किलो के बीच है। केसर के महंगा होने की वजह ये है कि इसके डेढ़ लाख फूलों से लगभग एक किलो सूखा केसर ही प्राप्त होता है।
सोने की तरह महंगा होने की वजह से केसर को 'रेड गोल्ड' भी कहा जाता है। माना जाता है कि आज से करीब 2300 साल पहले ग्रीस (यूनान) में सबसे पहले सिकंदर महान की सेना ने इसकी खेती की थी। कहा जाता है कि मिस्र की रहस्यमय रानी के तौर पर मशहूर क्लियोपेट्रा भी अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए केसर का इस्तेमाल करती थीं।
हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि केसर की उत्पत्ति दक्षिणी यूरोप के देश स्पेन में हुई है। आज दुनिया में सबसे ज्यादा केसर की खेती स्पेन में ही होती है। केसर के फूलों की खुश्बू इतनी तेज होती है कि आसपास के इलाके महक उठते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि हर फूल में केवल तीन ही केसर पाए जाते हैं।
वैसे तो केसर का इस्तेमाल आयुर्वेदिक नुस्खों में, खाद्य व्यंजनों में और देव पूजा में तो होता ही था, लेकिन अब पान मसालों और गुटखों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। केसर को रक्तशोधक, निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली और कफ नाशक भी माना जाता है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल चिकित्सा से लेकर जड़ी-बूटियों तक में किया जाता है।