चीन को अपने अनोखे कानून के लिए जाना जाता ही हैं। ऐसे में समय-समय पर कई ऐसे निर्देश जारी किए जाते हैं जो समझ से परे होते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ हैं अभी जब चीन में एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसके तहत हर माता-पिता को अपने बच्चों को 10 बजे से पहले सुलाना है, फिर चाहे उनका होमवर्क पूरा हुआ हो या नहीं। हांलाकि पेरेंट्स लगातार इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं क्योंकि इस प्रतिस्पर्धा के दौर में बच्चों के माता-पिता हर संभव कोशिश करते हैं ताकि बच्चों को देश के सबसे अच्छे कॉलेज में प्रवेश मिल सकें।
चीन के झेजियांग प्रांत में ये निर्देश चर्चा का विषय बना हुआ है। कारण है, स्कूली बच्चों के लिए जारी नए दिशा-निर्देश, जिनके मुताबिक बच्चों के लिए होमवर्क से ज्यादा सोना जरूरी है। नए नियमों के अनुसार, इस प्रांत के हर बच्चे को 10 बजे से पहले सोना अनिवार्य है। इसके अलावा अभिभावकों को सप्ताहांत में अपने बच्चों के लिए ट्यूटर रखने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए बिस्तर पर जाने का समय रात नौ बजे तय किया गया है। इसमें खास बात यह है कि बच्चे चाहें अपना होमवर्क पूरा करें या नहीं, अगर घड़ी में नौ बज गए तो उन्हें सोने चले जाना चाहिए। बच्चों के माता-पिता में इस फैसले क लेकर खासा गुस्सा देखने को मिल रहा है और वे इसकी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस निर्देश से बच्चे प्रतिपर्धा में पिछड़ जाएंगे। अभिभावकों ने इस फैसले को 'होमवर्क कर्फ्यू' करार दिया है।
पूर्वी झेजियांग प्रांत के शिक्षा विभाग ने छात्रों व अभिभावकों के लिए 33 दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं। इनमें यह सुझाव दिया गया है कि छात्रों को अपने अभिभावकों की अनुमति से एक सही समय पर सो जाना चाहिए। छात्र ऐसा उस स्थिति में भी कर सकते हैं जबकि उन्होंने स्कूल से मिले काम को पूरा न भी किया हो। इसके अलावा अभिभावकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे दूसरों से प्रतिस्पर्धा न करें। शिक्षा विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि छुट्टियों व वीकेंड पर बच्चों से अधिक पढ़ाई न कराई जाए।
चीन में स्कूली पढ़ाई के अलावा माता-पिता द्वारा अतिरिक्त गतिविधियों में भी बच्चों को हिस्सेदार बनाया जाता है। पैरेंट्स बच्चों पर पढ़ाई का दबाव इसलिए बनाते हैं, क्योंकि चीन की यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए गाओकाओ परीक्षा देनी पड़ती है। यह सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। यूनिवर्सिटी में प्रवेश का एकमात्र यही रास्ता है। इसलिए माता-पिता स्कूल से ही बच्चों पर ज्यादा दबाव बनाते हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा इस प्रकार के दिशा-निर्देश जारी करने के बाद अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर बच्चों पर होमवर्क का भार नहीं होगा तो वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे। अभिभावकों का कहना है कि आज का दौर परीक्षा आधारित है, इसलिए बच्चों को जरूरत से ज्यादा छूट नहीं दी जा सकती है। अगर बच्चे छोटी उम्र से ही प्रतिस्पर्धी नहीं बनेंगे तो भविष्य में उनके सफल होने की संभावना भी बहुत कम हो जाएगी। कई अभिभावक सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं।