Ganesh Chaturthi 2018 : गज रूप में नहीं बल्कि नर रूप में विराजमान है यहाँ गणपति, दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर

गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi 2018 के पावन पर्व से ही गणेशोत्सव शुरू हो जाता हैं। गणपति जी के हर मंदिर में इन दस दिनों में बड़े स्तर पर पूजा-आरती की जाती हैं और भगवान का आशीर्वाद लिया जाता हैं। गणेशोत्सव के इस पावन पर्व पर आज हम आपको गणपति जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनेआप में अनूठा हैं और दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर हैं। हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के तिलतर्पण पुरी नाम की जगह के बारे में।

वैसे तो गणेश जी के देशभर में कई मंदिर हैं, जहां वह अपने गजरूप में विराजमान हैं। भगवान शिव ने क्रोध में आकर भगवान गजानन का सिर धड़ से अलग कर दिया था जिसके बाद उनको गजराज (हाथी) का मुख लगाया गया, तब से उनकी इसी रूप में पूजा होती है। लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान गणेश जी गजरूप नही बल्कि अपने नररूप में विराजमान हैं। जी हां तमिलनाडु के कुटनूर से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर तिलतर्पण पुरी नाम की एक जगह है, यहीं पर भगवान गणेश का यह आदि विनायक मंदिर है। जहां भगवान गणेश का चेहरा इंसान स्वरूप में स्थापित है। यह दुनिया का एक मात्र मंदिर है जहां भगवान गणेश गजमुखी न होकर इंसान स्वरूप में है।

ये भी माना जाता है कि ये ऐसा एक मात्र गणेश मंदिर भी है जहां पितरों की शांति पूजन करने यहां आते हैं। यहां की लोक मान्यता के अनुसार है कि इस जगह पर भगवान श्रीराम ने भी अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा की थी। जिस परंपरा के चलते आज भी कई भक्त यहां पूर्वजों की शांति के लिए पूजा करने आते हैं।

यह मंदिर भले ही बहुत भव्य नही है लेकिन अपनी इस खूबी के लिए देशभर में जाना जाता है। सामान्य रूप से पितृदोष के लिए नदियों के किनारे तर्पण की विधि की जाती है जिस कारण इस मंदिर का नाम ही तिलतर्पणपुरी पड़ गया है। इस मंदिर के कारण यहां दूर-दूर से लोग अपने पितरों के निमित्त पूजन कराने आते हैं।

इस जगह का नाम तिलतर्पण पुरी पड़ने के पीछे एक खास कारण है। तिलतर्पणपुरी शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। तिलतर्पण का अर्थ होता है- पूर्वजों को समर्पित और पुरी का अर्थ होता है- शहर, यानि इस जगह का मतलब ही है पूर्वजों को समर्पित शहर।