दो रंगों के साथ ही की गई थी ट्रैफिक लाइट की शुरुआत, जानें रोचक जानकारी

देखा गया हैं कि सड़क पर गाडी चलाते समय हादसों का मुख्य कारण बनता हैं नियमों का उल्लंघन। इसमें सबसे बड़ा हैं ट्रैफिक लाइट पर नहीं रूकना और जल्दबाजी करना। ट्रैफिक लाइट का सही पालन कई हादसों को होने से रोक सकता हैं। क्या आप जानते हैं कि ट्रैफिक लाइट की शुरुआत के समय इसमें सिर्फ दो रंगों का इस्तेमाल होता था जो एक लाल था और दूसरा हरा। रेलवे के इंजीनियर जेके नाइट ने पहली ट्रैफिक लाइट लगाई थी। उसके काफी समय बाद ट्रैफिक लाइट्स में पीला रंग लाया गया था। अब आइए जानते हैं कि इन्ही रंगों को क्यों चुना गया था।

जी दरअसल, ट्रैफिक लाइट में लाल रंग डालने का कारण लोगों को सतर्क करना था। आप जानते ही होंगे कि शुरू से ही रेड कलर का मतलब रहा है 'आगे खतरा है।' इसी बात को इंगित करने के लिए लाल रंग चुना गया था। वैसे भी हम सभी इस बात से भी वाकिफ हैं कि अन्य रंगों की तुलना में लाल रंग गहरा रंग है इसके अलावा इसे दूर से भी साफ़ देखा जा सकता है। इसी वजह से इस रंग का इस्तेमाल कार या यात्री को ट्रैफिक लाइट पर रोकने के लिए करना शुरू कर दिया गया था।

अब बात करें पीले रंग की तो इसे शुरू से ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जी दरअसल इस रंग को ट्रैफिक लाइट में रखने का कारण था कि जब पीली रोशनी हो तो यह संकेत मिले कि आप फुटपाथ को पार करने या वाहन को आगे बढ़ाने या अपनी ऊर्जा का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। अब बात करें हरे रंग की तो इसे दुनिया का सबसे सुंदर रंग कहते हैं।

जी दरअसल हरे रंग को प्रकृति से जोड़कर देखते हैं। ऐसे में कहा जाता है यह रंग इस बात की तरफ इशारा करता है कि सब कुछ ठीक है। इस वजह से इसे ट्रैफिक लाइट में लाया गया। ताकि यह पता चल सके कि अब वाहन को आगे बढ़ने के लिए या पैदल चलने वालों को सड़क पार करने के लिए चलना चाहिए।