पीछले महीने वैलेंटाइन डे निकल चुका है जिसको प्यार के इजहार के लिए जाना जाता है। लेकिन मध्यप्रदेश का एक ऐसा गाँव है जिसमें होली का त्यौहार प्यार के इजहार के तौर पर मनाया जाता है और इजहार करने का तरीका भी बेहद अनूठा अपनाया जाता हैं। यहाँ के भील और भिलाला आदिवासी कई सालों से अपनी इस प्रथा को चलाते आ रहे हैं। तो आइये जानते है इस अनोखी प्रथा से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में।
मध्य प्रदेश के इस गांव में प्रेम का इजहार करने का अनोखा तरीका है। जहां युवा अपने मनपसंद हमसफर की तलाश करते हैं। वे उन्हें पान खिलाकर प्रेम का इजहार करते हैं और लड़कियों को लेकर भाग जाते हैं। आपको बता दें कि निमाड़ में फेमस भगोरिया मेला शुरू हो गया है। यह भील और भिलाला आदिवासियों की प्रेम और शादी से जुड़ा पारंपरिक मेला है। बताया जा रहा है कि ये मेला निमाड़ इलाके के झाबुआ, धार, बडवानी और अलिराजपुर में होली के मौके पर भगोरिया पर्व मनाया जाता है। ये होली से एक हफ्ते पहले शुरू होता है। होली से पहले शुरू होकर मेला होली के दिन ही समाप्त हो जाता है। आदिवासी साल भर इस मेले का इंतज़ार करते हैं।
आपको बता दें कि मेले में ढोल-मांदल की थाप पर सज-धजकर युवा आते हैं। आदिवासी युवतियां भी रंग-बिरंगे कपड़ों में सजकर पहुंचती हैं। युवा अपने मनपसंद हमसफर की तलाश करते हैं। तलाश पूरी होने पर वे लड़की को पान खिलाते हैं। फिर लड़का और लड़की मेले से भाग जाते हैं। खास बात तो यह है कि भागने की वजह से ही इसे 'भगोरिया पर्व' कहा जाता है। इसके कुछ दिनों बाद आदिवासी समाज उन्हें पति-पत्नी का दर्जा दे देता है। बताया जा रहा है कि मेले में युवकों की अलग-अलग टोलियां सुबह से ही बांसुरी-ढोल-मांदल बजाते घूमते हैं। आदिवासी लड़कियां हाथों में टैटू बनवाती हैं। हालांकि, वक्त के साथ मेले का रंग-ढंग बदल गया है। मेले में गुजरात और राजस्थान के ग्रामीण भी पहुंचते हैं। हफ्तेभर काफी भीड़ रहती है।