देशभर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और मच्छरजनित बीमारियां लगातार फ़ैल रही हैं। ऐसे में सभी लोग मच्छरों से निजात पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। इसी से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया हैं जहां अपनी बात मनवाने के लिए कैदी ने ऐसा तरीका अपनाया कि आपको भी हंसी आ जाएगी। कैदी ने यह सब मच्छरदानी के इस्तेमाल की अनुमति लेने के लिए किया था। इस मामले में कोर्ट में कैदी ने जज से कहा कि वह और अन्य कैदी मच्छरों से परेशान हैं। ऐसे में उसे मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए। उसके इस तथ्य को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ओडोमॉस और अन्य रेपेलेंट इस्तेमाल करने की इजाजत है, ऐसे में उसकी याचिका खारिज की जाती है।
आपको बता दें कि यह घटना मुंबई के सेशंस कोर्ट में गुरुवार को हुई। यहाँ तलोजा जेल में बंद विचाराधीन कैदी एजाज लकड़ावाला के ऊपर महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट यानी मकोका समेत कई तरह के आपराधिक केस चल रहे हैं। वहीं उसके मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। लकड़ावाला ने कोर्ट में पहुंचकर मच्छरों से भरी बोतल जज को दिखाई और कहा कि वह और अन्य कैदी जेल में मच्छरों से काफी परेशान हैं। ऐसे में उसे दूसरे कैदियों के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए।केवल लकड़ावाला ही नहीं बल्कि उसके अलावा भी जेल के कई कैदियों ने अन्य अदालतों में इसी तरह की याचिकाएं लगाई हुई हैं। दूसरी तरफ कोर्ट ने लकड़ावाला की याचिका को खारिज कर दिया। लकड़ावाला की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उसे 2020 में कोर्ट की ओर से न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और उसके बाद से उसे तलोजा जेल में बंद किया गया है। आगे उसने कहा कि उस समय उसे मच्छरदानी इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई थी। लेकिन मई में विचाराधीन कैदियों की बैरकों में सर्च अभियान चलाया गया था, उसमें उसकी मच्छरदानी भी जब्त कर ली गई थी।
लकड़ावाला ने यह भी कहा कि मच्छरदानियां जेल के कई स्टाफ को मुहैया कराई गई हैं। यह रात में बैरकों के बाहर पहरा देने वाले गार्ड्स को भी मिली हैं। यहां तक कि जेल के कुछ कैदियों को भी मच्छरदानी की इजाजत है। हालाँकि इसके बावजूद जेल प्रशासन के अफसरों ने उसकी इस याचिका का विरोध किया और उन्होंने कहा कि इससे सुरक्षा का खतरा है। क्योंकि इसमें लगने वाली लोहे की कील और इसकी जाली से सुरक्षा का खतरा उत्पन्न होता है। दूसरी तरफ लकड़ावाला ने कहा कि उसे बिना लोहे की कील के मच्छरदानी इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी जाए।