झारखंड के इन गावों में जाने के लिए मोदीजी तक को लेनी पड़ती है इजाजत

हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदीजी को आप देश के दूरदराज इलाकों में चुनावी रेलियाँ करते हुए देख सकते हैं। कौन है जो देश के प्रधानमंत्री को कहीं जाने से रूक सकें, वो अपनी मर्जी के मालिक हैं। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं क्योंकि देश के कुछ गाँव ऐसे हैं जहां जाने के लिए मोदीजी तक को इजाजत लेनी पड़ती हैं। जी हाँ आज हम आपको देश के कुछ ऐसे गावों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां देश की सरकार की बजाए वहां के खुद के प्रशासन का राज चलता है। इन गांवों में बिना यहां के प्रशासन की अनुमति के किसी को भी घुसने की अनुमति नहीं है।

भारत के ये अनोखे गांव झारखंड में स्थित है। यहां के 3 दर्जन गांव की ग्राम सभाओं ने देश के कानून को छोड़ कर अपना ही अलग संविधान और कानून बना रखा है, जिसे यहां रहने वाले सभी लोग मानते हैं। यहां के प्रशासन कर्ताओं ने देश से परे हटकर अपने खुद के रीति रिवाज बना रखे हैं। इन गांव की सीमा में बिना ग्रामसभा की इजाजत के कोई भी एंट्री नहीं कर सकता है। इन सभी में खास बात ये है कि देश के सभी व्यक्तियो को यहां एक समान माना जाता है और शायद इसलिए इन गांव में प्रवेश करने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, जिलाधिकारी, एसपी सभी को एंट्री के लिए ग्रामसभा की इजाजत लेनी पड़ती है।
इन सभी गांव ने अपनी-अपनी सीमाओं पर पत्थलगड़ी कर रखी है। यानि की बैरिकेडिंग, यहां की स्थानीय भाषा में बैरिकेडिंग को पत्थलगड़ी कहा जाता है। पत्थलगड़ी का मतलब है कि हर ग्रामसभा अपने-अपने ग्रामसभा की सीमा पर पत्थर गाड़कर गांव की सीमा तय करता है। गांव के संविधान इतने मजबूत हैं कि इन्हें बाकायदा सीमा पर गड़े पत्थरों के ऊपर लिखा गया है जो देश के किसी संविधान को नहीं मानता है।

ये सभी गांव झारखंड की राजधानी रांची के पास स्थित है। इन गांवों में कानून इतने ज्यादा कड़े हैं जितने की शायद देश तक में ना हों। यहां पर किसी की हिम्मत नहीं है कि इन गांव के लोगों के आदेश के बिना कोई अधिकारी या सरकार पलट सके। रांची के पास स्थित चार जिलों के प्रवेश द्वार पर गांव के निवासी मचान बनाकर हर आने-जाने वाले व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखते हैं। इन चारों जिले के नाम हैंगोड्डा, पाकुड, लोहारदगा और पलामू है। अगर इनमें से किसी भी गांव में आपका कोई जानकार या रिश्तेदार नहीं है तो आप यहां घुस तक नहीं सकते। आपको बाहरी आदमी समझ कर गांव की ग्रामसभाओं द्वारा दंड भी दिया जा सकता है।