कहने को तो इस धरती पर इंसानों के साथ-साथ लाखों करोंड़ो जीव-जानवर रहते हैं, लेकिन कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो इस धरती पर अपनी आखिरी सांस ले रहें हैं। इसके बाद भी शायद किसी को भी इन विलुप्त हो रहे जानवरों की परवाह नहीं है। वाकिता पॉरपॉइज भी ऐसी ही एंडेंजर्ड स्पीशीज में से एक है जिनकी संख्या बहुत कम होती जा रही हैं। ये पूरी दुनिया में केवल 10 ही बची हुई हैं। आप भी जानें इस स्पीशीज के बारे में कुछ खास बातें...
कैसे दिखते हैं ये जीववाकिता पॉरपॉइज नाम की इस एंडेंजर्ड स्पीशीज को सूंस नाम से जानते हैं। इनका रंग ग्रे और सिल्वर होता है। ये 5 फीट लंबे और 54 किलोग्राम वजन के होते हैं। इनका निचला भाग सफेद और ऊपरी भाग ग्रे होता है। इनकी आंखों के चारों तरफ मानो प्राकृतिक काजल लगा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस लुप्त होने की कगार वाले जीव को बचाया जा सकता है।
कहां पाई जाती है ये स्पीशीजआपको बता दें कि ये एंडेंजर्ड स्पीशीज केवल मेक्सिको में कैलिफोर्निया के गल्फ में पाए जाते हैं। इनकी आबादी के लुप्त होने की सबसे बड़ी वजह है तोतोआबा मछली का शिकार करना। दरअसल विकिता पॉरपॉइज तोतोआबा मछली को खाते हैं। विकिता पॉरपॉइज पर एक स्टडी भी की गई है। स्टडी में सामने आया है कि विकिता पॉरपॉइज को बचाना संभव है। लेकिन इसके लिए इनके एरिया से गिलनेट्स, जो कि एक भारी सा जाल होता है, को हटाना होगा। आपको बता दें कि इस जाल में बड़ी-बड़ी मछलियों को फंसाने की क्षमता होती है।
कम जेनेटिक वेरिएशन'साइंस जर्नल' में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर जैकलीन कहती हैं कि इन जीवों में कम जेनेटिक वेरिएशन होती है। इस जीव को बचाना आसान नहीं है लेकिन नामुमकिन भी नहीं है। इसे बचाने में मेक्सिको की सरकार के डिप्लोमैट्स, स्थानीय लोग, एंवायरमेंटलिस्ट की परेशानियों पर भी ध्यान देना होगा।
डॉक्टर जैकलीन का कहना है की इनका बचना सिर्फ और सिर्फ हम इंसानों पर निर्भर करता है। अगर इस स्पीशीज की सुरक्षा की जाए और इनके अनुकूल माहौल बनाया जाए तो आने वाले 50 सालों में ये अपनी पॉपुलेशन को बढ़ा सकते हैं। इनके डीएनए के जरिए जीने का आंकलन किया गया। इससे इस बात का खुलासा हुआ कि इनकी आबादी खत्म होने से बचाई जा सकती हैं। डॉक्टर जैकलीन कहती हैं कि विकिता पॉरपॉइज में सर्वाइवल जीन्स मौजूद हैं। बस इस लुप्त होने की कगार पर पहुंचे जीव को एक मौके की जरूरत है। ये जीव जेनेटिकली काफी मजबूत है।