आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खौफनाक खेल मध्य प्रदेश में उज्जैन शहर के भीडावद गांव में खेला जाता है। ये खेल दिवाली के बाद खेला जाता है। दरअसल, दिवाली के अगले दिन गोरी पूजा की जाती है। इस दौरान सैकड़ों गायों को सजाकर चौक में जमा हो जाते हैं। इस दौरान मन्नत मांगने वाले लोग पेट और मुंह के बल जमीन पर लेट जाते है।
उसके बाद गांव की सैकड़ों गायों को छोड़ दिया जाता है। गायों का झुंड दौड़ते हुए जमीन पर लेटे हुए लोगों के ऊपर से गुजर जाती है। यह दृश्य रौंगटे खड़े कर देने वाला होता है।
बताया जाता है कि ये परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है। अटूट आस्था के चलते लोग यहां हर साल पहुंचते हैं। भगवान की कृपा है कि आज तक यहां कोई हादसा नहीं हुआ है।
इसलिए मन्नत मांगने वाले युवक उपवास रखकर इस प्रथा में शामिल होते हैं। जब तक गाय मन्नत मांगने वालों के ऊपर से नहीं गुजरती तब तक पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह परंपरा लम्बे समय से गांव में चली आ रही है। अब तक कई लोगों की मन्नतें पूरी हुई हैं।