बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर जहां हुई थी मंदोदरी से रावण की पहली मुलाकात

भगवान शिव की महिमा को सभी जानते हैं और इसलिए ही तो सावन के महीने में शिव के अलग-अलग मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और अपनी मनोकामना की पूर्ती का आशीर्वाद लेते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें शिव का जलाभिषेक करने से हर मुराद पूरी होती है। हम बात कर रहे हैं मेरठ के बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर की। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

मेरठ सदर स्थित बिल्वेश्वर नाथ शिव मंदिर के साथ भी ऐसी ही एक मान्यता जुड़ी है। आसपास के क्षेत्र में इस मंदिर की बहुत मान्यता है। सावन में दूर दराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और शिव का जलाभिषेक करते हैं और धर्म लाभ कमाते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में रावण की पत्नी मंदोदरी भगवान शिव की अर्चना कर उनका जलाभिषेक करती थीं। इसी मंदिर में शिव कृपा से रावण और मंदोदरी की मुलाकात हुई थी।

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख भी है कि रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था। और इस मंदिर में पूजा के दौरान ही रावण और उनका मिलन हुआ था। मंदोदरी की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने इस मंदिर में उन्हें दर्शन दिए थे और वरदान मांगने के लिए कहा था।

इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, वो सिद्ध पीठ है। यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मेरठ को रावण की ससुराल कहा जाता है। मेरठ का नाम पहले मयदन्त का खेड़ा और यह मय दानव की राजधानी थी। मंदोदरी मय दानव की पुत्री थीं। सावन में इस मंदिर में लाखों कांवड़िये जल चढ़ाते हैं।