अमेरिका : डॉक्टरों ने मानी हार, लेकिन 11 साल से बीमार छात्र ने खुद रिसर्च कर इलाज करवाया

अमेरिका में 11 साल तक बिस्तर पर पड़े छात्र डॉउ लिंडसे की बीमारी का इलाज करने वाले सभी डॉक्टरों ने हार मान ली लेकिन छात्र ने हार नहीं मानी। दरहसर, डॉक्टरों ने उसकी बीमारी को थॉयराइड से जुड़ा बताया, लेकिन इलाज नहीं कर सके। जब डॉक्टरों ने हार मान ली तब डॉउ लिंडसे ने ढाई हजार पेज की एंडोक्रिनोलॉजी पुस्तक पढ़ी। उसके बाद उन्हें पता लगा कि उसके एड्रीनल ग्लेंड्स (अधिवृक्क ग्रंथी) में ट्यूमर है। बीमारी का पता लगने के बाद डॉउ लिंडसे ने अपने साइंटिस्ट दोस्त की मदद से अपनी सर्जरी करवाई और सर्जरी सफल रही उसके बाद वह चलने-फिरने लगा। 2014 तक वह पूरी तरह दौड़ने-भागने लगा। अब वह मोटिवेशनल क्लासेस लेता है।

रॉकहर्ट्स यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाला डॉउ लिंडसे 1999 में जब 21 साल का था, तब वह घर पर बेहोश होकर डाइनिंग टेबल से गिर पड़ा। वह बार-बार बेहोश हो रहा था। डॉक्टर समझ नहीं पा रहे थे कि उसे क्या हुआ है। जब वह छोटा था तब उसकी मां और मौसी को भी इसी तरह की बीमारी थी।