आपने पुराणों में कहानी सुनी होगी जिसमें श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को अपने कंधे पर बैठाकर यात्रा करवाता हैं। कलयुग में भी आपको कई ऐसे लोग देखने को मिलेंगे जो अपने माता-पिता के लिए सबकुछ करने को तैयार रहते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसी ही बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे कलयुग की श्रवण कुमार कहा जा रहा हैं जो कि अपनी मां को साइकिल पर बैठाकर कांवड यात्रा करवा रही हैं। हम जिस बेटी की बात कर रहे हैं वो 14 साल की बेटी खुशी हैं जो अपनी मां को पीछे बैठाकर करीब 80 किमी दूर नीलकंठ धाम आ पहुंची।
जी हाँ, कांवड़ यात्रा के बीच बीते रविवार को धाम में जलाभिषेक करने के बाद वापस लौट रही खुशी और उसकी मां सुषमा देवी साइकिल पर दिखाई दिए। इस दौरान जब साइकिल रोककर उनसे पूछा तो रुड़की निवासी सुषमा देवी ने बताया कि उनकी इच्छा थी कि वह नीलकंठ धाम में जलाभिषेक के लिए जाएंगी और इसी वजह से उनकी 14 वर्षीय बेटी खुशी ने उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए उन्हें साइकिल पर बैठाया और नीलकंठ धाम आ पहुंची।
आगे उन्होंने कहा 22 जुलाई को वह घर से नीलकंठ धाम के लिए निकले थे और 23 जुलाई शाम लक्ष्मणझूला पहुंचे। उसके बाद 24 जुलाई को सुबह नीलकंठ में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के बाद अब वापस रुड़की की ओर रवाना हो रहे हैं। आगे उन्होंने कहा उनकी बेटी भी उनके लिए किसी श्रवण कुमार से कम नहीं है।