
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला है। बंगाल विधानसभा में सशस्त्र बलों की बहादुरी को लेकर पेश प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ममता ने आतंकवाद, विदेशी नीति और आंतरिक सुरक्षा को लेकर केंद्र की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला मोदी सरकार की लापरवाही का नतीजा है और पीओके को वापस लेने का अवसर गंवा दिया गया।
आतंकवाद के मुद्दे पर ममता का तीखा हमलाममता बनर्जी ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यदि समय रहते सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होते तो यह हमला टाला जा सकता था। उन्होंने पूछा, आख़िर उस जगह पर सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं थे जहां हमला हुआ? ममता ने कहा कि सशस्त्र बलों की बहादुरी पर हमें गर्व है, लेकिन उनकी बहादुरी का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
पीओके पर कार्रवाई का मौका गंवाया गयासीएम बनर्जी ने दावा किया कि भारत के पास इस बार पीओके को वापिस लेने का सुनहरा अवसर था, लेकिन प्रधानमंत्री केवल अपने प्रचार में व्यस्त रहे। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार की ओर से इसे बड़ी सैन्य सफलता बताया जा रहा है।
विदेश नीति पर भी उठाए सवालममता बनर्जी ने भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, हम पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की बात करते हैं, लेकिन उसे IMF से कर्ज मिल रहा है। इससे विदेश नीति की कमजोरी उजागर होती है।
भाजपा पर लगाया ‘बहादुरी के राजनीतिकरण’ का आरोपमुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी केवल चुनावी लाभ के लिए सेना के पराक्रम का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने दोहराया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और इससे सख्ती से निपटने की जरूरत है।
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का पृष्ठभूमि22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। भारत की कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश कर बैठा, लेकिन भारतीय रक्षा प्रणाली ने उन्हें विफल कर दिया। आठ घंटे के भीतर पाकिस्तान ने सीजफायर की अपील की।
ममता बनर्जी के इन बयानों ने न केवल मोदी सरकार की सुरक्षा और विदेश नीति को सवालों के घेरे में ला दिया है, बल्कि विपक्ष के लिए भी एक नया राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। बंगाल विधानसभा का मॉनसून सत्र अभी जारी है और ममता के तीखे तेवर केंद्र सरकार के लिए एक नई चुनौती बन सकते हैं।