उत्तरकाशी को भी मिलेगा धर्मनगरी का दर्जा, नगर पालिका बोर्ड ने प्रस्ताव सर्वसम्मति से किया पारित

ऋषिकेश और हरिद्वार की तर्ज पर उत्तरकाशी को भी धर्मनगरी का दर्जा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। नगर पालिका बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) की बोर्ड बैठक में पूरे नगर को धर्म नगरी घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अब इस प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी दिलाने के लिए शासन और प्रशासन स्तर पर शीघ्र पत्राचार एवं संस्तुति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

हाल ही में आयोजित नगर पालिका बोर्ड की बैठक पालिकाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक के दौरान वार्ड संख्या दो, कलक्ट्रेट कॉलोनी से सभासद अमरीकन पुरी ने संपूर्ण उत्तरकाशी नगर को धर्म नगरी घोषित करने का प्रस्ताव बोर्ड के समक्ष रखा। इस प्रस्ताव पर पालिकाध्यक्ष सहित सभी सभासदों ने विस्तार से विचार-विमर्श किया। चर्चा के दौरान नगर की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपराएं, ऐतिहासिक विरासत और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी सदस्यों ने एकमत से प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई और इसे स्वीकृति प्रदान की।

प्रस्ताव के पारित होने के बाद यह निर्णय लिया गया कि इससे संबंधित आवश्यक कागजी कार्रवाई, अनुशंसा और पत्राचार को जल्द से जल्द शासन-प्रशासन के समक्ष भेजा जाएगा, ताकि आगे की वैधानिक और औपचारिक प्रक्रियाएं समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सकें। नगर पालिका का मानना है कि शासन स्तर से स्वीकृति मिलने के बाद उत्तरकाशी को एक नई पहचान और दिशा मिलेगी।

इस अवसर पर सभासद अमरीकन पुरी ने कहा कि शहर को धर्म नगरी घोषित करने का निर्णय नगर पालिकाध्यक्ष और पूरे पालिका बोर्ड की सामूहिक सोच, एकजुटता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कदम उत्तरकाशी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और नगर के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

सभासद अमरीकन पुरी के अनुसार, धर्म नगरी का दर्जा मिलने से उत्तरकाशी को धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान प्राप्त होगी। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सीधा लाभ स्थानीय व्यापार, रोजगार और आजीविका के अवसरों के रूप में सामने आएगा। साथ ही नगर में सड़क, स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, सौंदर्यीकरण जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास को विशेष प्राथमिकता मिलेगी। इसके अतिरिक्त धार्मिक आयोजनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पारंपरिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन को भी मजबूती मिलेगी।

गौरतलब है कि लंबे समय से हिंदू संगठनों की ओर से शहर में मांस और मदिरा की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की जा रही थी। पालिकाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान ने कहा कि यह तभी संभव हो सकेगा जब उत्तरकाशी को धर्म नगरी घोषित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि ऋषिकेश और हरिद्वार की तरह उत्तरकाशी को भी धर्म नगरी का दर्जा मिलता है, तो यहां स्वतः ही मांस और मदिरा पर प्रतिबंध लागू हो जाएगा, जिससे नगर की धार्मिक मर्यादा और आस्था को और मजबूती मिलेगी।