बीसलपुर बांध में बढ़ी पानी की आवक, मानसून ने दी राहत, मौसम विभाग ने दी चेतावनी डेम के पास न जाएं

टोंक। प्री-मानसून बारिश ने राजस्थान के जलाशयों को राहत देना शुरू कर दिया है। जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों की जीवनरेखा माने जाने वाले बीसलपुर बांध में अब पानी की आवक धीरे-धीरे बढ़ रही है। बांध का जलस्तर वर्तमान में 312.45 आरएल मीटर पर स्थिर बना हुआ है। जितना पानी बाहर निकाला जा रहा है, लगभग उतना ही पानी बारिश के कारण वापस आ रहा है, जिससे जलसंतुलन बना हुआ है।

जलस्तर और आपूर्ति: फिलहाल स्थिति संतोषजनक

बीसलपुर डेम से इस समय प्रतिदिन लगभग 1050 एमएलडी पानी लिया जा रहा है, जिससे हर दिन लगभग डेढ़ सेंटीमीटर पानी की निकासी हो रही है। कुल भराव क्षमता का 51% जल अभी उपलब्ध है, जो वर्तमान मौसम और आपूर्ति जरूरतों के हिसाब से संतोषजनक माना जा रहा है। खास बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस बार बांध में रॉ मटेरियल कैपेसिटी अधिक है।

बरसात से बढ़ी उम्मीदें, कृषि और पेयजल को मिलेगा लाभ

बीसलपुर क्षेत्र में अब तक 56 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो लगातार जलस्तर को बढ़ाने में सहायक बन रही है। वहीं, माही डेम में 63 मिमी, धरियावद में 32 मिमी और नगरिया में 23 मिमी बारिश हुई है। इन आंकड़ों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कृषि और पेयजल आपूर्ति को लेकर स्थिति और बेहतर हो सकती है।

आगामी दिनों में और बारिश की संभावना

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, राज्य में आने वाले दिनों में और अधिक बारिश हो सकती है। इससे गर्मी से राहत मिलने के साथ-साथ बांधों और भूजल स्रोतों में भी वृद्धि की संभावना है। पिछले कुछ दिनों में राजस्थान के कई हिस्सों में अच्छी बारिश हुई है, जिससे भूजल स्तर में सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रशासन की चेतावनी: डेम के पास न जाएं

बारिश के इस दौर में प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। मौसम विभाग ने विशेष रूप से चेताया है कि लोग डेम, नदियों और अन्य जलाशयों के किनारे न जाएं। अचानक जलस्तर में वृद्धि और फिसलनभरी सतह के कारण दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।

उम्मीदों की बारिश, लेकिन जरूरी है सतर्कता

बीसलपुर बांध की स्थिति में आ रहे सुधार ने राज्य के लिए राहत की खबर दी है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए जो इस डेम पर जलापूर्ति के लिए निर्भर हैं। हालांकि, प्रशासनिक और मौसम विभाग की चेतावनियों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जल संसाधनों का सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग ही इस मानसूनी राहत को स्थायी बना सकता है।